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शनिवार, 27 अगस्त 2016

मातृभाषा मे लिखनेवाले 3 कवि लेखक

** अतिबड़ी जगन्नाथ दास जी ने 500वर्ष पूर्व ओड़िआ भाषा मे भागवत लिखा !!

तब #Puri मेँ रह रहे संस्कृत पण्डितोँ ने इसे "तेली भागवत" कहकर उपहास किया था ।

कालान्तर मेँ यह ग्रन्थ ओड़िशा मेँ इतना लोकप्रिय हुआ कि हर गाँव मेँ पढ़ाजाने लगा ।

इसे रोजाना पढ़ने हेतु स्वतंत्र गृह "भागवत टुगीँ " बनाये गये और आज भी है  !

**गोस्वामी तुलसी दास जी ने  रामायण को अवधी भाषा मेँ लिखा ।

काशी के पड़िँतो ने तब इसका विरोध किया था और रामचरित मानस को काशी विश्वनाथ के यहाँ परिक्षण करने हेतु रखा गया ।

उपर संस्कृत ग्रन्थ निचे
रामचरित मानस रखा गया ।

सुबह

संस्कृत ग्रन्थ निचे रामचरित मानस उपर पाया गया

और उपर लिखा था सत्यम शिवम् सुन्दरम् !

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विश्व विख्यात अंग्रेजी कवि मिलटन् ने जब "पाराड़ाइज लष्ट" लिखा था
तब युरोप मेँ लाटिन भाषा को ज्यादा तबज्जो दिया जा रहा था । 

युरोप मेँ साहित्यकारोँ ने मिलटन का तिव्र आलोचना किया !!

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[[इन महात्माओँ ने मातृभाषा मेँ लिखा था इसलिये उनका ग्रंथ इतना जनादृत हो सका]]

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