** अतिबड़ी जगन्नाथ दास जी ने 500वर्ष पूर्व ओड़िआ भाषा मे भागवत लिखा !!
तब #Puri मेँ रह रहे संस्कृत पण्डितोँ ने इसे "तेली भागवत" कहकर उपहास किया था ।
कालान्तर मेँ यह ग्रन्थ ओड़िशा मेँ इतना लोकप्रिय हुआ कि हर गाँव मेँ पढ़ाजाने लगा ।
इसे रोजाना पढ़ने हेतु स्वतंत्र गृह "भागवत टुगीँ " बनाये गये और आज भी है !
**गोस्वामी तुलसी दास जी ने रामायण को अवधी भाषा मेँ लिखा ।
काशी के पड़िँतो ने तब इसका विरोध किया था और रामचरित मानस को काशी विश्वनाथ के यहाँ परिक्षण करने हेतु रखा गया ।
उपर संस्कृत ग्रन्थ निचे
रामचरित मानस रखा गया ।
सुबह
संस्कृत ग्रन्थ निचे रामचरित मानस उपर पाया गया
और उपर लिखा था सत्यम शिवम् सुन्दरम् !
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विश्व विख्यात अंग्रेजी कवि मिलटन् ने जब "पाराड़ाइज लष्ट" लिखा था
तब युरोप मेँ लाटिन भाषा को ज्यादा तबज्जो दिया जा रहा था ।
युरोप मेँ साहित्यकारोँ ने मिलटन का तिव्र आलोचना किया !!
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[[इन महात्माओँ ने मातृभाषा मेँ लिखा था इसलिये उनका ग्रंथ इतना जनादृत हो सका]]
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