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गुरुवार, 27 अगस्त 2015

ओड़िशा के ढ़ेकाँनाल क्षेत्र मेँ "चषा" जाति व अन्य जातिओँ पर सम्यक जानकारी

ओड़िशा मेँ खेति करने वाले लोगोँ को आम बोलचाल मेँ "चषा" कहाजाता है ।
मेरे ढ़ेँकानाल मेँ प्रायः चार प्रकार के #चषा बताये जाते है

1.Khandayat Chasa

सैनिक किसान जो अब तलवार छोड़ चुके है खेती करते है


2.Pandarasariya-
साधारण खेती करनेवाले
वैश्य कुल

3.kalatuaa chasaa_

साधव -पुरातन व्यापारी कुल

4.thuriya chasa
साधारण किसान वैश्य कुल

इसके अलावा
यहाँ "Halua bramhan"
ब्राह्मण कुल भी पाया जाता है
जो खेती व साहुकारी करते है

#Dhenkanal जिल्ला मेँ Baulpuriya chasa नामसे

एक स्वतंत्र कृषक कुल भी पायाजाता है
जिसे कुछ लोग Khandayat के समकक्ष मानते है ।

कृषकोँ कि इन अलग अलग उपजातिओँ मेँ पारस्पारिक विवाह संबन्ध वर्जित
है फिर भी यदि कोई शादी करना चाहे तो समाज बिठाकर
कर सकता है ।

मेरा गाँव KANTIO मेँ कुल 36 जाति के लोग रहते है जिसमेँ 40% Khandayat है
खंडायत सरनामोँ मेँ
#JENA
#BISWAL
#SAHOO
#PARIDA
#PRADHAN
#RAUT
आदि मुख्यतः पायेजाते है ।

मेरे गाँव के आसपास Putasahi ,महिमाक्षेत्र jaka , Khuntabati ,kantio kateni , tumisinga आदि गाँव के लोगोँ को Kalatuaa Chasa कहाजाता है ।

आज से करिबन 1500वर्ष पूर्व
साहु Titel धारी ज्यादातर लोगोँ के पूर्वज #साधव कहलाते थे.....

1000 वर्ष पहले तक Odisha का पिपिलि चित्रोत्पला आदि वंदरगाहोँ से
मलेसिया .इंडोनेसिया ,मिशर व युरोप के साथ व्यापारीक संपर्क कायम था ।
धीरे धीरे ओड़िआ लोग जैन ,वौद व शैव धर्म छोड़ वैष्णव होने लगे....व्यापार छोड़ खेती करने पर ज्यादा तबज्जो देने लगे ,
Odisha मेँ जातिप्रथा वैष्णवोँ कि देन है । यदि ओड़िशा मेँ वैष्णव धर्म स्थापना न होता तो शायद आज ज्यादातर ओड़िआ
अन्य धर्म ग्रहण कर चुके होते ।
ओड़िशा मेँ वैश्णव धर्म के प्रचारकोँ मेँ श्री चैतन्य प्रधान मानेजाते है ।
उनका

"Bhaja shri krushna chaitanya prabhu nityananda japa hare krushna hare ram shriram gobinda"

महामन्त्र आज भी भजन किर्तनोँ मेँ गयाजाता है
वैष्णवोँ ने यहाँ ब्राह्मण व क्षत्रिय शासन (स्वायत्त गाँव) भी वसाया था ।

कुल मिलाकर
पहले ओड़िआ लोग किसान ,सैनिक साधव व नाविक हुआ करते थे
वैष्णवोँ ने जातपात को बढ़ावा दिया परंतु
आदिवासी भगवन को पूजने वाले ओड़िआओँ ने सर्वदा जातपात से ज्यादा मानव धर्म को तबज्जो दिया

यही कारण था कि यहाँ
उतना धर्मान्तरण नहीँ हो सका जितना शेष भारत मेँ हुआ था ।

[[आगे बताउगाँ कैसे वैष्णवोँ ने
एक आदिवासी भगवान जगन्नाथ को वैष्णव बनाने कि गहरी चाल चली
और 16वीँ सदी तक सफल भी हुए । ]]

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