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बुधवार, 9 नवंबर 2016

अंग्रेजों का 1811 मुद्रानीति - ऐसे हुए ओडिआ एक झटके मे गरीब

1810 तक अंग्रेज पुरे भारत पर कब्जा कर चुके थे ।
अगले साल यानी 1811 को वो लोग नये मुद्रानीति लेकर आ गये ।
उन दिनों पूर्वभारत मे लेनदेन व्यापार कि करेंसीओं मे #कौडी आम लोगों के पास बहुतायत मे हुआ करता था ।
Odisha के लोग अछे खासे व्यापारी हुआ करते थे
वो कौडीओं के बल पर स्वयं को अमीर समझने लगे थे ।
अंग्रेजों ने उनको एक दिन मे नये कानुन बनाके कंगाल बना दिया ।
नये कानुन के तहत केवल सोना सिलवर के
रुपयों को मान्य बनाया गया
। इससे कौडीओं के मूल्य सिलवर के मुकावले काफी घटगये ।
लोग कौडी के बदले रुपा के सिक्के संग्रह करने के चक्कर मे
मुद्रा विनीमयकारीओं के हातों शोषण के शिकार हुए ।

अंग्रेजों ने कौडीओं का मूल्य तय किया था 1280•4 यानी 5120 कौडी = 64 आनै मे एक रुपा या सिलवर मुद्रा

लेकिन वाजार मे वभाव इसके दुगने तिगने करदिएगये थे ।
यानी 20000 से 30000 कौडीओं के बदले एक रुपा मुद्रा

फिर एक ओर सूर्यास्थ कानुन के बल पर अंग्रेजों ने ओडिआ जमिदारों से जमिदारी छीन कर जानकार अत्याचारी बंगाली जमीदारों को दे दिए

ओर उन नये जमिदारों ने अंग्रजी किनुनी क्षमता के बल पर लोगों का शोषण करना शुरुकरदिया........

वर्षों संप्पन रहा एक क्षेत्र मात्र मुद्रानीति के बदल जाने से देश का सबसे गरीब भूभाग बनगया था