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बुधवार, 17 मई 2017

●●●●ओडिआभाषा में अमरुद के प्रतिशब्द●●●●

#हिंदी भाषा में #Guava (Psidium guajava)
के लिए ज्यादा से ज्यादा कितने #प्रतिशब्द है...?
#जामफल ओर #अमरुद......
लेकिन जनकर हैरान होगें
इस मूल अमरीकी फलके लिए
#Odia भाषा में एक दो नहीं आठ दश प्रतिशब्द प्रचलन में है ।

मानक #ओडिआ में #अमरुद को #पिजुळि कहाजाता है
#जाम्व -अविभक्त कोरापुट
#मया/माया-संबलपुर तथा बलांगीरपाटणा
#चाउळिआ-पुरी,खोर्द्धा
#लेभुआ-दशपल्ला(नयागड)
#महुआ-वौद,नरसिंहपुर
#पेडा-बालेश्वर,मयुरभंज
#तमस-देओगड
#बिदुडि-आनंदपुर (केंदुझर जिल्ला)
#जाम,#जामी- गंजाम कळाहांडि जिल्ला
#बिजुळि-ढेंकानाल

  ●हमारे #विच्छिन्नाचंल ओडिआ में●

#बेलति- #हलवी,#भतरी उपभाषा #वस्तर जिल्ला में
#सेतिम्बा- #सडषी उपभाषा #सडैकला #खरसंवा जिल्ला

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ
एइ भारत यार जगते तुळना नाहीं...

सेनेह सोहाग यार अनुराग
मैत्री र बंधन नेई

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ
एइ भारत यार जगते तुळना नाहीं...

मथारे याहार मुकुट पराए
तुंग हिमगिरी सोहे
चरण युगळ परशी याहार
सपत सिंधू बहे

यार बुकुरे कोटि निर्झरिणी याए बहि....
यार कटिरे विंध्यगिरीवर अछि रहि
प्रतिधूळिकणा प्रतिजळविंदु
या नामकु याए गाइ

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ
एइ भारत यार जगते तुळना नाहीं...

सबुजिमा यार चिर आभरण
सुंदर याहार शिरी
गौरव यार अक्षय किरती
सौरभे उठे पूरी ......

यार पराण आम सबुरी ममता नेई
यार चरण आम सबुरी मंगळ पाइँ
सेइ भारत र संतान आमेरे
जगत कल्याण पाइँ

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ
एइ भारत यार जगते तुळना नाहीं...

सेनेह सोहाग यार अनुराग
मैत्री र बंधन नेई

एइ भारत आम जननी जनमभूइँ
एइ भारत यार जगते तुळना नाहीं...

ओडिआ भाषा में भारि और भारी

#ओडिआभाषी #फेसबुकिये पिछले 2 साल से दिन प्रतिदिन बढ रहे है ।
अब रोज हजारों पोस्ट ओडिआमें भी आने लगे है ।
अब होता क्या है किसी ने कोई शब्द लिखदिया तो लोग चले आते है उसे #शब्दज्ञान देने....
ओर एक शब्द के लिए फिर घंटो #चर्चा चलता रहता है...
कहीं कहीं लोगों में आपसी सहमति हो जाते
तो कहीं #शाब्दिक #महाभारत छिड जाते ।

पिछले दिनों एक ओडिआभाषी बन्दे ने एक व्यक्ति पर तिखे #कटाक्ष करदिए...
उसे बुरालगा शायद
लेकिन
उसने कमेंट मे से एक शब्द को #इश्यू बनाया ओर कटाक्ष करनेवाले पर टुट पडा....

वह शब्द था भारि/भारी....
हिन्दी में आमतौर पर वजनदार के लिए #भारी शब्द का प्रयोग होता है ।
लेकिन ओडिआ में #भारी को एक तो #भारि लिखा जाता है वहीं इसे पांच अलग अर्थों में इस्तेमाल भी किया जाता है....

भृ-धातु+कर्त्ता. इ =>भारि
भृ धातु के कई अर्थ होता है
जैसे
#धारणकरना,#वहन करना,#पालन करना आदि
#भयभीत करना के अर्थ में भी इसका इस्तेमाल होता था

भारि का ओडिआ अर्थ इसप्रकार है
1.सिंह【ओडिआ में मूल भारि शब्द (देशज विशेष्य)प्रचलन में जिसका अर्थ #सिंह होता है ,शायद यह  आदिवासीओं का शब्द था]

#अत्यधिक, बहुत ही ज्यादा,#दुर्वह यानी #वजनदार,#अत्यावश्यक,#जनपूर्ण,#व्यथायुक्त,
#पीडादायक,#असह्य आदि....

लेकिन ओडिआ में भारी शब्द का अर्थ वजनदार नहीं है....
अगर आपने ऐसा लिखा वह शब्द गलत हो जएगा
आपको #ओडिआ में #भारी शब्द को #भारि लिखना होगा च्यूंकि
#ओडिआभाषा में #भारी का अर्थ #भारिक
यानी भारवहन करनेवाला होता है....

भारतीय भाषा विद्वान इसलिए
ओडिआभाषा कि मौलिकता को मानने में मजबूर हो गये ओर 2014 में odia को भारत का छठा classical language का दर्जा मिला
संस्कृत के बाद यह दुसरा आर्यभाषा है जिसे यह उपलव्धि हासिल हो पाया है.....

शुक्रवार, 5 मई 2017

●●●श्रेष्ठा तु जननी उत्कळ●●●●

या महिमा अप्रमिता
अपरुपे सुशोभिता
दिव्य अनिन्द्य कान्तिज्वळ
हृदय अर्पित छन्दे
कोटि सुत सुता बन्दे
चरणारबिन्दे सकळ
श्रेष्ठा तु जननी उत्कळ ।।

प्रकटिता चर्तुभूजा
धारण श्रीनेत्र ध्वजा
बक्षे शोभित बनमाळ
बारणारोहिणी रुप
हस्ते शंख शरचाप
करमंतित निळोत्पळ
श्रेष्ठा तु जननी उत्कळ .......।।

कुसुम मंजुळ कुंज
खंजि महीधर पुंज
घेनी निघंच बनाचंळ
निर्झरिणी कळकळ
सुनीळ तटिनी जळ
तटप्रांते उर्मी उत्थाळ
श्रेष्ठा तु जननी उत्कळ .......।।

●●●कवि तपन दास ●●●●

यह है शुद्ध संस्कृतप्राण ओडिआ...भाषा...
आज भारतके सभी आर्य भाषाएँ कलुषित हो चुकि हैं
अरवी पार्सी शब्द बोलकर लोगों ने प्राचीन संस्कृत शब्दों को बुड्ढों का शब्द मानलिया और धडल्ले से त्याग भी दिया लेकिन
"संस्कृती के देश #कलिंगोत्कल नें न तो संस्कृत शब्दों को त्यागे न ही संस्कृत के मूल व्याकरणगत नियमों का त्याग किया....
वह तो आज भी स्वयं में संस्कृत को जीवित रख पाने में सफल है और कसम है
श्रीजगन्नाथजी का ध्वज उडता रहेगा ...
जबतक ओडिआओं में स्वाभिमान जिंदा रहेगा
हमारी भाषा और संस्कृती भी जीवित रहेगी

जय हिंद
बंदे उत्कल जननी