अणसरके बारे में जानते है आप ? यह एक ओडिआ शब्द है जो श्रीजगन्नाथ मंदिर से संबंधित है...
"अणसार हमारी संस्कृति का एक हजार साल पुराना
Quarantine तरीका है।"
हर जगन्नाथ प्रेमी जानता है कि रथ यात्रा से पहले हर साल भगवान जगन्नाथ प्रतीकात्मक रुपसे बुखार और सर्दी से पीड़ित होते हैं। इसलिए ठाकुरजी को quarantine में या हमारी हिंदू परंपरा में जिसे "अणसार" कहा जाता है, उसमें रखा जाता है ...
और कितने दिन रखा जाता है ?
जी 14 दिन, ठीक 14 दिन याद रखें।
इस समय के दौरान भगवान हमारे मंदिर के रत्न सिंहासन पर न रहकर एक खास घर अणसर घर में अकेले रहते हैं।
इस समय के दौरान, भगवान के दर्शन को रोक दिया जाता है, ठाकुरों को आयुर्वेदिक जड़ी बूटी, हर्बल दवा के साथ मिश्रित जड़ी बूटियों की पेशकश की जाती है, और पथ्य दिया जाता है। यह परंपरा हमारे श्रीक्षेत्र के श्रीमंदिर में हजारों वर्षों से चली आ रही है, और यह आगे भी युहीं चलता रहेगा जब तक कि यह उड़िआ जाति का अस्तित्व है ।
और आज इकीसवीं सदी में, पश्चिमी लोग आए और हमें सिखारहे कि quarantine 14 दिन का होना चाहिए !
हम हजारों वर्षों से श्रीजगन्नाथक्षेत्र में जिस प्राचीन भारतीय रोग निवारण प्रथाका अभ्यास कर रहे हैं ये विदेशी लोग आज हमें बता रहे हैं...
हमें हमारे पूर्वजों ने पर्वके माध्यमसे जीवनकी वैज्ञानिक पहलू को सिखाया था,समझाया था पर हम श्रीमन्दिर गये और मिठाई खाकर लौट आये...
हमारी आधुनिक पीढ़ी भी बहुत दूर चली गई है ! आजकलके पढेलिखे भारतीय कह रहे हैं कि हमारा हिंदू धर्म अंधविश्वाससे भरा हुआ है, यह एक गैर-वैज्ञानिक धर्म है
पर ये तथाकथित विज्ञान युगके बच्चे अपने परंपरा तौहार और जीवनशैली के अंदर छिपे वैज्ञानिकताको बिलकुल भी भांप नहीं पाती...
आज, पूरी दुनिया दहशत की स्थिति में है, कोरोनाको खत्म करने के लिए सभी उस 14-दिवसीय quarantine की वकालत कर रहा है, जिसे हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले निर्धारित किया था कि जब भी सर्दी के साथ बुखार हो तो व्यक्ति चाहे वो राजा हो या किसान उसे 14 दिनों के लिए अणसर यानी quarantine
करना है ।