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सोमवार, 25 दिसंबर 2017

उत्कल एक व्याख्या

यूं तो बर्तमान
ओडिशा का सबसे प्राचीन व लोकप्रिय नाम
हे कलिंग जो कि उससमय इतना प्रशिद्ध हुआ कि बादमें चीन से लेकर के मलेशिया इंडोनेशिया आदि क्षेत्रों में भारतीयों के क्लेंग,क्लिगं  तथा किल्गीं आदि नाम प्रचलित हो गया किंतु
बर्तमान ओडिशा का आधिकारिक नामों में से
एक उत्कळ भी कम् लोकप्रिय नहीं है...

आम तौर पर कहाजाता है कि
उत्+कळ=उत्कळ (ଉତ୍କଳ)

उत् (उ+क्विप्) एक उपसर्ग है
ओर उसके कई अर्थ है
जैसे :--उर्द्ध या उचांई में,सम्यक रुप से,इतःस्ततः,उच्चैस्वर में,उत्कट, उलटा,उत्कर्ष, समुचय,प्रश्न, वितर्क,अधिक आदि.....

वहीं कळ/कल शब्द एक धातु शब्द है
जो कि तीन मूल अर्थों में प्रयोग किया जाता है
1.गमन करना
2.गणना करना
3.शब्द करना
(ओडिआ भाषा में यन्त्र को ‛कळ’ भी कहाजाता है च्यूंकि उपरोक्त गुण उसमें पाये जाते है)

इसके अलवा कळ शब्द का एक विशिष्ट शब्द के रुप में भी बहुत से अर्थ होते है
जैसे कि..
୧.अत्यन्त मधुर ध्वनी(कल कल)
୨.भ्रमरों का गुंजन
୩.शाल वृक्ष
୪.शुक्र
୫.अंकुर
୬.अजीर्ण
୭.यन्त्र, कौशल
୮.सुविधा
୯.कन्दर
୧୧.वश्यता,अधीनता
୧୨.अधिकता
୧୩.मौका

ओर अब यदि इन सारे अर्थों को मिलाकर व्याख्या करें तो
कैसा होगा चलिए देखते है.......

1.जिस क्षेत्र के अधिवासी सदा उर्द्ध कि ओर गति करते है यानी जिनके मनमें
जाति धर्म के नाम पर
हीनता नहीं होता.....

2.जिस जाति कि गणना समस्त भारतीय जातिओं में आगे हुआ करता है(था)
यथा जो देश भारतवर्ष में उर्द्ध पर है अर्थात भूस्वर्ग है..

3.जिस भूभाग के अधिवासीओं के गर्जना(शब्द करना) मात्र से ही शत्रु उलटे पांव पलायन कर देता है

.......

1.जिस भूमि के अधिवासी सम्यक रुपसे
मधुरभाषी तथा साधु स्वभाव के होते है
वे अकारण किसी से वैर नहीं रखते ....

2.जो देश स्वर्ग सम उत्कर्ष है अतः वहां के नंदनकानन समान उपवनों में
भ्रमरें सदा कल कल गुंजन करते पाये जाते है...

3.जो देश  वहुधा शाल आदि
मजबूत वृक्षों के परिपूर्ण है तथा प्राकृतिक शोभा युक्त सौंदर्य शालिनी है ।

4.जिस देश की प्रशिद्धि शुक्र ग्रह समान
जाज्वल्यमान है ।

5.जिस उत्कर्ष कलाओं के देश में बौद्ध, जैन तथा महिमा धर्म से लेकर ओडिशी,छउ नृत्य स
आदि विभिन्न कलाओं का अकुंरोद्गम् हुआ है ।

6.जो देश व उसके अधिवासी उत्कट भीषण शत्रु के लिए भी अजीर्ण हो.....
ये वही जाति है कि शत्रु भी जीत न सका तो कलिगां साहासीका लिखकर चलता बना था......

୭.जो देश यन्त्र कौशालादि के लिए लोकप्रिय हो..

୮. जिस देश में जीवनयापन कै लिए सर्वाधिक सुविधा प्रकृति से मिला हुआ है ।अनेकानेक नदनदी,ह्रद,पर्वत तथा उपत्याकाओं से सजा जो देश स्वर्ग सम सुंदर हो.....

୯.जिस देश के अधिवासी
नीलकंदर निवासी श्रीजगन्नाथ महाप्रभु के प्रति निष्ठावान तथा श्रीजगन्नाथ जिनके राजराजेश्वर है  ....जिस देश में जाति धर्म का भेद न हो कोई किसीके अधीन न हो वो उत्कळ है...

୧୦.भ्रांत प्रश्नकारी वितर्क प्रेमी अन्य भारतीय जाति भी जिस भूमि के महानता के आगे नतमस्तक हो गये थे ।
कभी इस जातिको म्लेंच्छ कहके अपमानित करनेवाले भी समय के साथ इस उत्कल देश के अधिवासीओं के पुरुषार्थ देखके अपने वाक्य लौटाने को वाध्य हो गये थे ।
आगंगा गोदावरी समस्त पूर्व भारत जिस देश के महान सनातनी जगन्नाथ धर्म से प्रभावित है
यह है वह देश उत्कल ..

.............

ओडिआ साहित्य में उत्कल शब्द कई अर्थों
में प्रयोग होता है
1.उत्कण्ठित-- ज्ञान तथा कला के लिए जो उत्कंठित

୨.शिकारी,व्याध - शत्रुओं के शिकार में शिद्धहस्थ

୩.कर्कष गर्जना - शेर ही करते है भीरू नहीं ....

୪.बंगाली विश्वकोष लेखक उत्कल शब्द का एक अर्थ भारवाहक लिखें है..
अठारहवीं सदी से बीसवीं सदी तक कई ओडिआ बंगाल में भारवाहक का काम किया करते थे,माली हुआ करते थे,पाचक(रसौया) हुआ करते थे तो यह अर्थ बनाया गया ।
खैर हम वह भारवाहक अर्थ को भी सादर ग्रहण पूर्वक अपना सीना तानकर कहते है कि हाँ
हम वही भारवाहक उत्कलीय जाति है जिसने
भारतीय संस्कृती तथा भाषाको को अपने बोइत या बहीत्र में लादकर
इंडोनेशिया, मालेशिया,फिलपिन्स,कोरिया,मोरेसियस, चीन,जापान,श्रीलंका व मालडीव्स से लेकर माडागास्कर,एथिओपिया आदि देशों तक पहुंचाया......

#बंदेउत्कलजननी
#जयकलिगोंत्कल

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