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एक और षडयन्त्र

अनंत_वासुदेव_मंदिर भूवनेश्वर कि सर्वप्रथम पुरातन विष्णु मंदिर है ।पुरातन काल मे भूवनेश्वर को शैव क्षेत्र के रुप मे जानाजाता था यहाँ कई प...

सोमवार, 21 सितंबर 2015

एक और षडयन्त्र

अनंत_वासुदेव_मंदिर भूवनेश्वर कि सर्वप्रथम पुरातन विष्णु मंदिर है ।पुरातन काल मे भूवनेश्वर को शैव क्षेत्र के रुप मे जानाजाता था यहाँ कई पुरातन शिव मंदिर देखे जा सकते है जैसे लिंगराज मंदिर ,लक्ष्मणेश्वर चक्रेश्वर आदि । यह सहर प्रसिद्ध शाक्त क्षेत्र भी रहा है ! यहाँ कि अधिष्ठात्री देवी भूवनेश्वरी के नामसे सहर का नाम भूवनेश्वर हुआ है ।प्रसिद्ध कंलिग राजा लागुंडा नरसिँह देव कि बहन चंद्रा देवी ने इस विष्णु मंदिर का निर्माण करवाया था । जनसृति है कि चंद्रिका देवी के पति हैहय वंशी राजा परमर्द्दी देव वैष्णव थे अतः उनके मृत्यु पश्चात पति स्मृति रक्षा हेतु कलिँग राज कन्या ने मंदिर निर्माण करवाया ।आप जानकर हैरान होगेँयह मंदिर 19 - 20वीँ सदी मे षडयन्त्र का शिकार हो चुका है ।इस मंदिर कि निर्माण संबन्धि चंद्रादेवी कि शिलालेख को गर्भगृह से चुराकर किसी ने वहाँ बंगाल के राजा भवदेव भट्ट का शिलालेख रखदिया था ।फिर बंगाली प्राबन्धिकोँ ने इसे भवदेव भट्ट कि किर्त्ति बताकर समुचे बंगाल मे प्रचार करवाया ।कहते है सच्चाई छुपाये नहीँ छुपती ! दिखजाती है ,प्रकट हो जाती है ! उसे कोई चाह कर भी झुठला नहीँ सकता न मिटा सकता है.....बहत दिनोँ बाद ओड़िशा के सुयोग्य प्रत्नतत्त्ववित् #परमान्द_आचार्य जी ने इस बात से अपने तथ्यात्मक तर्कोँ के बलपर पर्दा उठादिया ।मयुरभंज महाराजा जी के सहायता से चंद्रादेवी कि वो शिलालेख लंडन म्युजियम से ओड़िशा लायागया ।फिर इस बात पर ऐतिहासिकोँ के बीच बादविवाद तर्क वितर्क दौर शुरु हुआ !अंत मे खोजबीन से पताचला एक बंगाली वैष्णव द्वारा चंद्रादेवी की शिलालेख को लंडनमे बेचदिया गया था....किसी ने क्या खुब कहा है"सच्चाई कि जीत होता रहा है होता रहेगा"

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