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रविवार, 27 दिसंबर 2015

---कालापाहाड़ को संबलपुर ने दिया था मंदिर तोड़ने कि सज़ा ए मौत् ---

दलित वर्ग के महापण्डित कालापाहाड़ को ब्राह्मण बताकर ब्राह्मणोँ का अपमान करना चाहते है ।
ब्राह्मणोँ के वजह से भारत मुस्लिममय हो गया !! हिन्दु कमजोर हो गये ,चीरनिद्रा मे चलेगये आदि आदि !!!
वहीँ कुछ ब्राह्मण ऐसे भी है जो कालापाहाड़ के नाम पर समाज को ये जताना चाहते हे
देखो !! ब्राह्मणोँ के श्राप और आशिर्वाद दोनोँ ही खतरनाक है !!! हम क्रोध मे आये तो राज बदल देगेँ धर्म बदल देगेँ .....


इस आततायी के नाम ,जन्मस्थान ,जाति ओर धर्म को लेकर अमुमन विवाद देखा गया है
इसलिये हम इस विवाद से इतर उसे सिर्फ एक आततायी ,आक्रमणकारी , लुटेरा ही समझे
जिसने ओड़िआओँ को गहरा जख्म दिया !!!

कहते है कालापाहाड़ ने ओड़िशा के बड़े बड़े मंदिरो को लुटपाट के बाद तोड़ दिया था !!!
मेदिनीपुर से पुरी जगन्नाथ तक के क्षेत्र मे उसके पैशाचिक कुकर्म अब जनसृति बनगयी है ।

~~Kalapahad को लेकर के ओड़िशा मे प्रचलित जनसृति ~~

Odishan/ओड़िआओँ के अंतिम स्वाधीन राजा मुकन्द देव जी के राजत्वकाल मे राजनैतिक अस्तिरता तेज हो गयी थी !!! ओड़िशा को गलत हातोँ मे जाने से बचाने के लिये दक्षिणभारतीय मुस्लिम व बंगाल के तुर्क शासकोँ से उन्हे बारबार युद्ध करना पड़ा था ! अंततः उन्होने मोगल साम्राज्य के झंडे तले आना ही श्रेयश्कर समझा ! 1565 मे अकबर के सेना ,भूरिश्रेष्ठा (Bhurshut) शासक रुद्रनारायण व मुकुन्द देव कि कलिँग सेना ने मिलकर बंगाल के तुर्क नवाब सुलैमान कर्रानी को गंगा त्रिवेणी संगम के निकट धुल चटा दिया था !! कहाजाता है त्रिवेणी के युद्ध मे कलिगंसेना के सेनापति राजीव लोचन राय ने बड़ी वीरता व अदम्य साहस का पदर्शन किया था और उनके पराक्रम से बंग नवाब भी प्रभावित हुए थे !!

सुलैमान कर्रानी ने मोगल सल्तनत के साथ संधि कर लिए
और अपने चिकनी चुपणी बातोँ से सेनापति राजीव लोचन राय के दिल जीतकर उन्हे बंगाल आने का न्यौता दे दिया !!!

राजीव लोचन राय बिना मुकुन्द देव से मंत्रणा किए कुछ दिन बाद बंगाल कि ओर कुच कर गये !!!
सुलैमान कर्रानी कि चाल सफल साबित हुई
सेनापति राजीव लोचन को सुलेमान कर्रानी कि बेटी से ईश्क हो गया !!

नवाब कन्या कि प्रेम अंधे होकर राजीव लोचन ने धर्म और जन्मस्थान से तौबा कर लिया !! लेकिन जल्द ही जब उन्हे एहसास हुआ कि ये प्यारव्यार एक धोखा था
वो पुरी लौट आये....लेकिन एक देशद्रोही विश्वासघातक को कौन पनाह देना चाहेगा ?
उसीदिन राजीव लोचन राय का वैचारिक मौत हो गया था महानदी के जल मे....और बदलेमे जन्म हुआ जाति विद्वेषी आततायी कलापाहाड़ का !!!

चंद सालोँ मे उसने वैष्णवोँ कि बड़े बड़े मंदिरोँ को नेस्तेनाबुद करदिया था.....

सारे ओड़िशा को लुटलेने के बाद कालापाहाड़ Diamond city sambalpur पर हमले कि तैयारी मे जुटगया !

उन दिनोँ संबलपुर-बरगड़ क्षेत्र मे बलराम देव राजा हुआ करते थे [1540 A.D. to 1557 A.D] जब उन्हे पताचला कि कलापाहाड़ संबलपुर लुटने कि फिराक मे है वो युद्ध के लिये अपने सेना को तैयार हो जाने का निर्देश दे दिया !!!

संबलपुर मे आज जहाँ मा समलेई कॉलेज है वहाँ कलापाहाड़ व उसके सेना ने पड़ाव डाला था ।

राजा ने उनपर रातमे आतर्कित हमला किया ओर इससे कालापाहाड़ मारा गया !!

च्युँकि कालापाहाड़ बंग नवाब का जमाई था और कहीँ उसके मौत से बौखलाकर बंग नवाब संबलपुर पर हमला न कर दे
इसलिये
ओड़िशा मे देवी समलाई के नामसे एक अफवाह उड़ाया गया....

---क्या था अफवाह ----

जब कालापाहाड़ व उनके सैनिक हमले से पूर्व आराम फर्मा रहे थे देवी समलाई ने ग्वाल स्त्री के रुप मे आकर उन्हे विषयुक्त #घोलदही या छास पिला दिया
जिससे सभी कि वहीँ पर अकालमृत्यु हो गई !!!
आज ये जनसृति लोकविश्वास बनगया है
बादमे इसी चौहानवंशी राजा बलराम देव ने संबलपुरमे देवी समलाई का भव्य मंदिर बनवाया था !!

2006 तक संबलपुर मे कालापाहाड़ का समाधी हुआ करता था
2002 के बाद संबलपुर के कुछ मुस्लिम परिवारोँ ने कालापाहाड़ के समाधी पर फुल व चादर चढ़ाना शुरुकरदिया.....
कहा जाता है
इससे बौखलाये हिन्दु संगठनोँ ने वो समाधी खोदकर कालापाहाड़ का हिन्दु रीतिरिवाजोँ से अंतिम संस्कार करदिया था !!


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