सिँहपुर कलिँग का पुरातन प्राचीन राजधानीओँ मे से एक था ।
वौधग्रंथ महावंशमे महाराजा सिंहवाहु द्वारा सिँहपुर कि स्थापना किए जाने कि बात लिखा है ।
राजा सिँहवाहु के विषय मे इस बौधग्रंथ मे एक कथा है जो इसप्रकार है.........
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कलिँग देश मे बंगराजा से कलिगं राजकन्या का विवाह बड़े धुमधाम से हो गया था ।
वरकन्या बंगदेश लौट रहे थे तभी रस्ते मे एक सिद्ध साधु से मिले ।
विद्वान ब्राह्मण साधु ने नववरबधु को आगाह करते हुए कहा कि तुम्हारी कन्या का विवाह जंगली जानवरोँ के अधिपति से होगा !!!
साधुजी भविष्यवाणी सुनाकर अपने रस्ते हो लिये !
नवदंपत्ति के पास उस समय प्रतिक्षा करने के अतिरिक्त कोई उपाय न था ।
समय बीतता चला गया और निश्चित समय पर बंगदेश मे एक कन्या का जन्म हुआ । उसका नाम रखागया सुप्पाकुमारी ।
कन्या जन्म होते ही बंगदेश के राजा का भविष्यवाणी को लेकर चिन्ता बढ़गयी ।
उन्होने राजकुमारी को बाहारी दुनिया से दूर अंगरक्षकोँ से सुरक्षित एक गुप्त जगह मे रखदिया ।
युवावस्ता को प्राप्त होने पर राजकुमारी को ये बाधाबंधनो से चिढ़ होने लगा ।
एक दिन बंगदेश आये एक नाटकमंडली के साथ वो राजभवन से चोरीछुपे भाग निकली !!
नाटक मंडली का काफिला समृद्ध मगध_साम्राज्य कि और जा रहा था परंतु बीच मे लदा या लड़ा नामक स्थान पर सिँह_छाल_व_मुखा धारी कुछ विद्रोही_जंगली लोगोँ ने काफिले पर हमला करदिया !
[ महावंश बौधग्रंथमे इन्हे सिँह कहागया है ] !
सभी बंधकोँ को लुट लेने के बाद मार दिया गया और
उन सिँहवेशधारी विद्रोहीओँ के सरदार ने राजकुमारी से बलपूर्वक विवाह किया !
बंगदेश कि राजकुमारी को विद्रोही सरदार ने एक गुंफा मे कैद रखा था ।
कालान्तर मे राजकुमारी ने एक पुत्र व कन्या को जन्म दिया
पुत्र का नाम था सिँहवाहु
वहीँ कन्या का नाम सिँहाशावली रखागया !
एक दिन बंगदेशीय सेनापति को कहीँ से सुचना मिला कि बंग राजकुमारी को विद्रोही सिँह सरदार ने बंदी बना रखा है ।
बंग राजा को ज्ञात होने पर उन्होने सिँह सरदार की सीर के बदले इनामी राशी कि घोषणा करवा दिया । युवक सिँहवाहु मातृविछेद से पिताविरोधी हो गया था
वो लदा प्रान्त को
सिँहवेशधारी विद्रोहीओँ से बचाने के लिये लढ़ने लगा और एक दिन सिँहवाहु ने अपने ही विद्रोही पिता को मार कर अपनी माता की अपमान का बदला ले लिया ।
अपनी माँ से मिलने सिँहवाहु बंगाल कि ओर रवाना हो गया
वहीँ उधर बृद्धावस्था के कारण बंगराजा चलवसे !!
सिँहवाहु बंगाल मे कुछ दिन तक राजा बने रहे परंतु उन्हे अपनी जन्मभूमि
लादा कि याद आ रही थी ! अंततः उन्होने बंग सेनापति को बंगाल का राज सौँप दिया और लादा लौट आये !!!
---कालान्तर मे यही सिँहवाहु कलिँग देश के राजा बने !
---इसी सिँहवाहु के परम प्रतापी पुत्र विजय ने लंका जय किया था और तबसे लंका का # सिँहलनाम प्रचलन मे आया ।
---सिँहवाहु कि पुत्री सुमिता के नाम से इंण्डोनेसिया के एक द्वीप का नाम रखागया जो बाद मे सुमात्रा हो गया ।
---मालेसिया के नीचे छोटा सा देश Singapoore का नाम Odisha के पुरातन राजधानी सिँहापुर के
नामसे रखागया था ।
---श्रीलंका कि बर्तमान जातीय ध्वज मेँ सिँह के हाथ मे तलवार सिँहवाहु के सम्मानार्थे चित्रित है । च्युँकि कलिँग राजा ने लंकावासीओँ को उनदिनोँ समुद्रीलुटेरोँ से बचाया था ।
लेकिन आज.... सिँहपुर नगर एक Ghost city से बढ़कर कुछ नहीँ है ।
गंजाम जिल्ला कार्यालय से पश्चिम मे 115 माइल दुर लागला नदी किनारे इस नगर कि मृतशरीर निर्जिव पड़ा हुआ देखा जा सकता है ।
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