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अनंत_वासुदेव_मंदिर भूवनेश्वर कि सर्वप्रथम पुरातन विष्णु मंदिर है ।पुरातन काल मे भूवनेश्वर को शैव क्षेत्र के रुप मे जानाजाता था यहाँ कई प...

मंगलवार, 25 जुलाई 2017

ओडिशा में प्रथम

ओडिशा के प्रथम ग्राजुएट: श्री मधुसूदन दास

ओडिशा का पहला अंबसाडोर: ललितेंदू मानसिंह

प्रथम आत्मकथा लेखक: फकीर मोहन सेनापति

ओडिशा का पहले एयर मार्शल: सरोज जेना

प्रथम पुरस्कार प्राप्त ज्ञानपीठ लेखक,कवि: गोपीनाथ मोहंती

ओडिशा के पहले राज्यपाल: डॉ हरेकृष्ण महताब

प्रथम अल इंडिया रेडियो :-  A.i.R कटक (1948)

ओडिशा का प्रथम केन्द्रीय मंत्री: डॉ हरेकृष्ण महताब

सुप्रीम कोर्ट का पहला ओडिआ मुख्य न्यायाधीश: रंगनाथ मिश्रा

ओडिशा का पहला सिनेमा हॉल: सीताराम विलास टॉकीज (एसएसबीटी), ब्रह्मपुर

प्रथम ओडिया रंगीन फ़िल्म: गप हेलेबी सत (1976)

प्रथम ओडिया फीचर फिल्म: सीता बिबाह (1936)

पहला सिनेमास्कोप ओडिया फिल्म: हिसाब निकास

प्रथम रजत जूब्ली हिट ओडिया फिल्म: पूजा

ओडिशा में पहली हिंदी फिल्म का निर्माण किया गयाः shodh - 1979 (निर्माता: सताकांत मिश्र)

प्रथम ओडिया निर्देशक निर्देशित हिंदी फिल्म: प्रसंत नंद(Not नंदा😀) फिल्म-नैया

पहली ओडिया वीडियो फिल्म: वाहिनी

ओडिशा का पहला फिल्म स्टूडियो: कलिंग स्टूडियो, भुवनेश्वर

ओडिशा का पहला कॉलेज: रैवेनशॉ कॉलेज, कटक (1868)

फर्स्ट मेडिकल कॉलेज: श्रीराम चंद्र भंज मेडिकल कॉलेज, कटक (1 9 44)

फर्स्ट इंजीनियरिंग कॉलेज: यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, बुर्ला(1 9 56)

प्रथम प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज: ओडिशा इंजीनियरिंग कॉलेज, भुवनेश्वर (1 9 86)

फर्स्ट इंजीनियरिंग स्कूल: भुवनानंद ओडिशा स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, कटक (1 9 23)

प्रथम महिला कॉलेज: शैळबाळा महिला कॉलेज

ओडिशा का पहला हाई स्कूल: कटक कॉलेजिएट स्कूल

फर्स्ट गर्ल्स हाई स्कूल: रैवेनशॉ गर्ल स्कूल, कटक

प्रथम ओडिया डॉक्टरेट डिग्री: चौधरी जगन्नाथ दास

प्रथम स्नातकोत्तर: श्री मधुसूदन दास

ओडिशा का पहला स्नातक: श्री मधुसूदन दास

प्रथम मेडिकल ग्रेजुएट: डॉ सुरेंद्र नारायण आचार्य

प्रथम इंजीनियरिंग स्नातक: माधब चंद्र पटनायक

ओडिया में लिखा पहला निबंध: बिब्की (स्वर्गीय राधानाथ राय)

प्रथम ओडिया लोकसभा अध्यक्ष: रबी राय

प्रथम ओडिया ज्योतिषी: सामंत चंद्रशेखर

प्रथम ओडिआ स्वतंत्रता सेनानी:- गजपति देव(१८९०) पारलाखेमुंडी

प्रथम ओडिआ कव्य रचयिता कवि: महाकवि सरला दास

प्रथम ओडिया प्रोफेसर: प्रो. प्राणकुष्ण परिजा

प्रथम व्याख्याता: काशीनाथ दास (संस्कृत  विभाग, रावेनशॉ कॉलेज)

प्रथम ओडिया उपन्यासकार: रामशंकर राय

प्रथम ओडिया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी: देबशीश मोहंती

प्रथम ओडिया आईएफएस: कुमारी संजुक्ता पटनायक

शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

छोटे छोटे जीवों को भी मिलता है ओडिआ भाषा में इज्जत

ओडिआ भाषामें सजीव जीवों को इज़्ज़त मिलता है
वो भी वाक्य गठन से ....

हिंदी में आप #घरों कहते है
इंसानों के लिए #लोगों  कहते है
लेकिन ओडिआ में सजीव ओर निर्जीव जीवों के लिए अलग-अलग​ suffix यानी अंतसर्ग/प्रत्यय व्यवहार होता है
जैसे घरों के लिए =>#घरगुडि़क
लेकिन जब इंसान कि बात आती है तो हम कहते है =>#लोकमाने

यहां #गुडिक ओर #माने दोनों का इस्तेमाल एक ही अर्थ के लिए प्रयोग होता है
लेकिन सजीव तथा निर्जीव के लिए भिन्न-भिन्न
Suffix है ओडिआ में....
अंग्रेजी यहां तक कि दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी जीवित प्राणी तथा निर्जीव वस्तुओं में इस तरह के प्रत्ययभेद नहीं है......

यहां तक कि छोटे छोटे चिटीओं तक को भी इज्जत मिलती है ओडिआ भाषा में
(चिटीको ओडिआ में पिंपुडि कहते है)
लोग कहते है #पिम्पुडिमाने......

ओर जड वस्तुओं के लिए
गुडिक जैसे ओर भी कई suffix word ओडिआ में प्रचलन में है जैसे
#से_गुडा
#हे_गुडा
#से_गा

सजीव जीवों के लिए suffix word
#माने प्रयोग होता है

मंगलवार, 18 जुलाई 2017

एक नहीं जगन्नाथपुरी में हर वर्ष होता है चारबार रथयात्रा

#जगन्नाथ संस्कृति मेँ एक नहीँ चार चार #रथयात्रा मनाया जाता है !

1.सौर गुण्डिचा
2.शाक्त गुण्डिचा
3.शैव गुण्डिचा
4.घोष यात्रा/श्रीगुण्डिचायात्रा

==सौर गुण्डिचा==

वसन्त माघ सप्तमी से वसन्त पँचमी तक सूर्यनारायण भगवन जी का रथयात्रा होता है इसे सौर गुण्डिचा कहाजाता हे ।

==शाक्त गुण्डिचा==

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक दूर्गामाधव भगवनजी का रथयात्रा होता हे, इसे शाक्त गुण्डिचा कहाजाता है ।
==शैव गुण्डिचा==

चैत्र शुक्ल अष्टमी तीथि
से इशानेश्वर महादेवजी का भी रथयात्रा होता है इसे शैव गुण्डिचा कहते है ।

==श्रीगुण्डिचायात्रा==

अंत मेँ श्रीगुण्डिचा यात्रा आषाड़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तीथि  तक 9 दिन के लिये अनुष्ठित होता है ।

इसे घोषयात्रा .दक्षिणाभिमुखी यात्रा,नवदिन यात्रा व आड़प यात्रा के नाम से भी जानाजाता है ।

इसदिन  स्वयं जगन्नाथ भक्तोँ को दर्शन देने हेतु रथमे विराजमान होते है ।  विशाल रथों का निर्माण करते हुए वे स्वयं भ्राताभगन्नी संग श्रीगुंडिचायात्रा करते है इसलिए यह इतना लोकप्रिय हो पाया हे ।