#जगन्नाथ संस्कृति मेँ एक नहीँ चार चार #रथयात्रा मनाया जाता है !
1.सौर गुण्डिचा
2.शाक्त गुण्डिचा
3.शैव गुण्डिचा
4.घोष यात्रा/श्रीगुण्डिचायात्रा
==सौर गुण्डिचा==
वसन्त माघ सप्तमी से वसन्त पँचमी तक सूर्यनारायण भगवन जी का रथयात्रा होता है इसे सौर गुण्डिचा कहाजाता हे ।
==शाक्त गुण्डिचा==
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक दूर्गामाधव भगवनजी का रथयात्रा होता हे, इसे शाक्त गुण्डिचा कहाजाता है ।
==शैव गुण्डिचा==
चैत्र शुक्ल अष्टमी तीथि
से इशानेश्वर महादेवजी का भी रथयात्रा होता है इसे शैव गुण्डिचा कहते है ।
==श्रीगुण्डिचायात्रा==
अंत मेँ श्रीगुण्डिचा यात्रा आषाड़ शुक्ल द्वितीया से दशमी तीथि तक 9 दिन के लिये अनुष्ठित होता है ।
इसे घोषयात्रा .दक्षिणाभिमुखी यात्रा,नवदिन यात्रा व आड़प यात्रा के नाम से भी जानाजाता है ।
इसदिन स्वयं जगन्नाथ भक्तोँ को दर्शन देने हेतु रथमे विराजमान होते है । विशाल रथों का निर्माण करते हुए वे स्वयं भ्राताभगन्नी संग श्रीगुंडिचायात्रा करते है इसलिए यह इतना लोकप्रिय हो पाया हे ।
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