ओडिआ भाषामें सजीव जीवों को इज़्ज़त मिलता है
वो भी वाक्य गठन से ....
हिंदी में आप #घरों कहते है
इंसानों के लिए #लोगों कहते है
लेकिन ओडिआ में सजीव ओर निर्जीव जीवों के लिए अलग-अलग suffix यानी अंतसर्ग/प्रत्यय व्यवहार होता है
जैसे घरों के लिए =>#घरगुडि़क
लेकिन जब इंसान कि बात आती है तो हम कहते है =>#लोकमाने
यहां #गुडिक ओर #माने दोनों का इस्तेमाल एक ही अर्थ के लिए प्रयोग होता है
लेकिन सजीव तथा निर्जीव के लिए भिन्न-भिन्न
Suffix है ओडिआ में....
अंग्रेजी यहां तक कि दक्षिण भारतीय भाषाओं में भी जीवित प्राणी तथा निर्जीव वस्तुओं में इस तरह के प्रत्ययभेद नहीं है......
यहां तक कि छोटे छोटे चिटीओं तक को भी इज्जत मिलती है ओडिआ भाषा में
(चिटीको ओडिआ में पिंपुडि कहते है)
लोग कहते है #पिम्पुडिमाने......
ओर जड वस्तुओं के लिए
गुडिक जैसे ओर भी कई suffix word ओडिआ में प्रचलन में है जैसे
#से_गुडा
#हे_गुडा
#से_गा
सजीव जीवों के लिए suffix word
#माने प्रयोग होता है
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