विशिष्ट पोस्ट

एक और षडयन्त्र

अनंत_वासुदेव_मंदिर भूवनेश्वर कि सर्वप्रथम पुरातन विष्णु मंदिर है ।पुरातन काल मे भूवनेश्वर को शैव क्षेत्र के रुप मे जानाजाता था यहाँ कई प...

शुक्रवार, 31 मार्च 2017

*******उत्कल दिवस*******


जब देने लगे लोग बंदे मातरम् बंदे मातरम् के नारे....
हैरत क्यों जगवालों को हमने ऐसे क्या कर डाले.....
और हमने बदला जब  उसी गीत का शब्द सुर ताल
लिखदिए बंदे उत्कल जननी सा  पद्य उस
साल...
वह बंगभंग का आन्दोलन कहलाया राष्ट्रीय
क्रान्ति
हम 4 हिस्सों में बंटे हुए लोग चाह रहे थे एकजुटता
भारतीय नेता मगर तब कहते रहे हमें ही क्षेत्रवादी....
ना होते कूलबृद्ध मधुसूदन ओर अनेकों माटिप्रेमी पुत्रपुत्री
कहाँ हो पाता तब एकत्रीकरण पडोशीओं कि मंशा थी
कि हम बंटे रहे सदा खटते रहे उनके गुलामों
कि भांति
मगर ठान लिए थे मधुसुदन कि बनकर रहेगा
अलग राज्य
नहीं झुकेगी किसी कलिंगी का माथा बदलेगें मिलकर भाग्य.....

1928 वह दौर था देश में आजादी कि
क्रान्ति कि
गांधी नेहुरु बोस लाल-बाल-पाल  कि
आंधी कि

आया था साइमन कमीशन लिए नये
सौगात
कहा सबने जाओ जाओ साइमन हमें पसंद नहीं तुमरी बात
चालाक मधु देख रहे थे जाना आया मौका अपने हात
उत्कलप्रेमी बंदो से करवाया पटना में ही साइमन का स्वागत
सुने साइमन उत्कल का दुःख लिखे रिपोर्ट बनी बात
1936 बना उत्कल प्रदेश मिला बंटे हुएँ को  एकजुटता
न होता यदि हमारी तब एकत्रीकरण
स्वतंत्रता के बाद
न हो पाते एकजुट
पडोशीओं के नेताओं के कारण

हमने खोया है  तब भी
मेदिनीपुर बस्तर वीरभूम खरसंवा षडैकला
जैसे भूभाग
पुनः मिश्रण अब लक्ष्य बने
जागो उत्कल !!!!!
गाओ अखंड उत्कल का राग.....

आज उत्कल दिवस है......
1756 में मराठीओं ने जब चौद्वार(कटक) में हविबुल्ला के साथ ओडिशा का बंटवारा किया था...
तब से लेकरके 1936 तक उत्कल /कलिंग/कोसल राज्य चार हिस्सों में बंटा हुआ था...

अंग्रेजों को सर्वाधिक परेशान करनेवाले ओडिआ लोगों को उन गोरों ने वर्षों तक अपने शोषण का शिकार बनाया.......
उन्निसवीं सदी में आज का ओडिशा चार हिस्सों में बंटा हुआ था....
बंगाल,मद्रास,मद्यप्रदेश तथा विहार मे चार हिस्सों मे बंटे हुए ओडिआ लोगों को अपना भाषा संस्कृति त्याग कर बंगाली,मद्रासी,हिन्दीभाषी व बिहारी बनने को दवाब डाला गया.....

मधुसुदन दास बंगाल में 16 साल रह कर ओडिशा लौटे और उन्होनें इसके खिलाफ लोगों को एकजुट करना शूरुकरदिया....
1903 से 1934 तक वह आजीवन
उत्कल के लिए लडते रहे.....

1928 मे साइमन कमिशन भारत आया....
भारत के सभी नेताओं ने
उनका विरोध किया
लेकिन मधुसुदन जानते थे कि यही सही मौका है....
उन्होनें उत्कल सम्मिलनी के सदस्यों को पटना मे साइमन कमीशन का स्वागत करने को निर्देश दिए.....
वहीं हुआ....
साइमन कमीशन को सारे भारत में उनकी हो रही अपमान के बीचो बीच यह स्वागत सत्कार अच्छा लगा.....
साइमन कमीशन ने व्रिटेन के पार्ल्यामैंट को नूतन उत्कल/ओडिशा राज्य गठन कि सिफारिश भेज दी.....
और उन्हीं सिफारिशों के बदोलत 1936 में ओडिशा भाषा संस्कृति आधार पर भारत का पहला राज्य बनकर उभरा.......

लेकिन हमें मात्र आधा ओडिशा देकर के #AprilFool बनाया गया था.....
आज भी बंगाल में मेदिनीपुर,छतिशगड का आधा हिस्सा बस्तर से वीरभुम तक और झाडखंड का खरसंवा षडैकला क्षेत्र वहाँ रहनेवाले ओडिआ लोग औडिशा से अलगथलग शोषण शिकार होते आ रहे है....

अब इस पर भी यदि कोई ओडिआ व्यक्ति
अखंड ओडिशा कि बात करने लगे
उत्तरभारतीयों को वह नागवार गुजरता है...

शुक्रवार, 3 मार्च 2017

एका तो भकत जीवन-सालवेग भजन

भक्तकवि सालवेग द्वारा लिखा एक ओर भजन आज हिन्दी लिपान्तरण एवं अनुवाद के साथ पोस्ट कररहा हुँ....
उम्मिद है आपको पसंद आएगा

ଏକା ତୋ ଭକତ ଜୀବନ
एका तो भकत जीबन
एका(निःसंग) तेरा भक्त जीवन

,ଭକତ ନିମନ୍ତେ ତୋର ଶଙ୍ଖ ଚକ୍ର ଚିହ୍ନ।।
भकत निमन्ते तोर शंख चक्र चिह्न !!
भक्तों के लिए तेरा शंख चक्र चिह्न
।।

ଭକତ ତୋ ପିତାମାତା ଭକତ ତୋ ବନ୍ଧୁ,
भकत तो पितामाता भकत तो बन्धु
भक्त तेरे पितामाता भक्त हीं बन्धु ।

ଭକତ ହିତରେ ତୋର ନାମ କୃପାସିନ୍ଧୁ ।।
भकत हितरे तोर नाम कृपासिंधु
भक्त हितार्थे तेरा नाम कृपासिंधु

ଧେନୁ ପଛେ ପଛେ ବତ୍ସା
ଗମେ କ୍ଷୀର ଲୋଭେ,
धेनु पछे पछे बत्सा गमे क्षीर लोभे
धेनु पिछे पिछे बत्सा
जाए दुग्ध लोभे

ଭକତ ପଛରେ ତୁହି ଥାଉ ସେହି ଭାବେ।।
भकत पछरे तुहि थाउ सेहि भाबे
भक्तों के पिछे तुम वैसे हीं होते

ବାପା ମୋ ମୋଗଲପୁଅ
ମାତେ ମୋ ବ୍ରାହ୍ମଣୀ,.....
बापा मो मोगलपुत्र
माते मो ब्राह्मणी......
पिता मेरे मोगलपुत्र
माते हैं ब्राह्मणी......

ଏ (ଦି) କୁଳେ ଜନ୍ମିଲି ହିନ୍ଦୁ ନଖାଏ ମୋ ପାଣି ।।....
दि कुळे जन्मिलि हिन्दु नखाए मो पाणि ।।....
दोनों कुल मे जन्माँ हिन्दु न छुँए मेरा पानी ।।....

କହେ ସାଲବେଗ ହୀନ ଜାତିରେ ଯବନ,
कहे सालवेग हीन जातिरे जबन
कहे सालवेग हीन जाति में वन ।

ଶ୍ରୀରଙ୍ଗାଚରଣ ବିନୁ ନ ଜାଣଇ ଆନ।।
श्रीरंगा चरण बिनु न जाणइ आन ।।
श्रीरंगाचरण बीनु न जानता मैं आन(और कुछ भी) !!