भक्तकवि सालवेग द्वारा लिखा एक ओर भजन आज हिन्दी लिपान्तरण एवं अनुवाद के साथ पोस्ट कररहा हुँ....
उम्मिद है आपको पसंद आएगा
ଏକା ତୋ ଭକତ ଜୀବନ
एका तो भकत जीबन
एका(निःसंग) तेरा भक्त जीवन
,ଭକତ ନିମନ୍ତେ ତୋର ଶଙ୍ଖ ଚକ୍ର ଚିହ୍ନ।।
भकत निमन्ते तोर शंख चक्र चिह्न !!
भक्तों के लिए तेरा शंख चक्र चिह्न
।।
ଭକତ ତୋ ପିତାମାତା ଭକତ ତୋ ବନ୍ଧୁ,
भकत तो पितामाता भकत तो बन्धु
भक्त तेरे पितामाता भक्त हीं बन्धु ।
ଭକତ ହିତରେ ତୋର ନାମ କୃପାସିନ୍ଧୁ ।।
भकत हितरे तोर नाम कृपासिंधु
भक्त हितार्थे तेरा नाम कृपासिंधु
ଧେନୁ ପଛେ ପଛେ ବତ୍ସା
ଗମେ କ୍ଷୀର ଲୋଭେ,
धेनु पछे पछे बत्सा गमे क्षीर लोभे
धेनु पिछे पिछे बत्सा
जाए दुग्ध लोभे
ଭକତ ପଛରେ ତୁହି ଥାଉ ସେହି ଭାବେ।।
भकत पछरे तुहि थाउ सेहि भाबे
भक्तों के पिछे तुम वैसे हीं होते
ବାପା ମୋ ମୋଗଲପୁଅ
ମାତେ ମୋ ବ୍ରାହ୍ମଣୀ,.....
बापा मो मोगलपुत्र
माते मो ब्राह्मणी......
पिता मेरे मोगलपुत्र
माते हैं ब्राह्मणी......
ଏ (ଦି) କୁଳେ ଜନ୍ମିଲି ହିନ୍ଦୁ ନଖାଏ ମୋ ପାଣି ।।....
दि कुळे जन्मिलि हिन्दु नखाए मो पाणि ।।....
दोनों कुल मे जन्माँ हिन्दु न छुँए मेरा पानी ।।....
କହେ ସାଲବେଗ ହୀନ ଜାତିରେ ଯବନ,
कहे सालवेग हीन जातिरे जबन
कहे सालवेग हीन जाति में यवन ।
ଶ୍ରୀରଙ୍ଗାଚରଣ ବିନୁ ନ ଜାଣଇ ଆନ।।
श्रीरंगा चरण बिनु न जाणइ आन ।।
श्रीरंगाचरण बीनु न जानता मैं आन(और कुछ भी) !!
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