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अनंत_वासुदेव_मंदिर भूवनेश्वर कि सर्वप्रथम पुरातन विष्णु मंदिर है ।पुरातन काल मे भूवनेश्वर को शैव क्षेत्र के रुप मे जानाजाता था यहाँ कई प...

रविवार, 25 जून 2017

•••• मेरे प्रभु जगन्नाथ सर्वत्र विराजमान ••••

यह मेरी पवित्र भूमि ओडिशा है जिसका धूल "जगन्नाथ" कहते हैं, हवा भी "जगन्नाथ", महासागर, नदी, धारा आदि हरकोई "जगन्नाथ" कहते हैं.....
ओडिशन संस्कृति का केंद्र भगवान जगन्नाथ है ओडिशन दर्शन का प्रतीक श्री जगन्नाथ है.....

ओडिशा का साहित्य जगन्नाथ से शुरू होता है श्री जगन्नाथ महाप्रभु ओडिश के भक्ति गीत, संगीत, कला, सोच और ओडिडिया के दिन-प्रतिदिन जीवन में हैं.....

संभवत: पूरे विश्व में ओडिशा एकमात्र भौगोलिक क्षेत्र है जहां भूपति यानी राजाएं भी भगवान जगन्नाथ की सेवा पर सफाईदार हो जाते हैं.....

वह क्यों नहीं होगा, क्योंकि ओडिशा का वास्तविक राजा (उत्कल / कलिंग) भगवान जगन्नाथ है....

शायद जगन्नाथ पूरे विश्व में एकमात्र देवता है जो अपनी दिव्य भक्तों को पवित्र दर्शन (झलक) देने के लिए अपनी मूल मूर्ति (मुगल विग्रा) के रूप में आते है.....

वह पतित-पवन, भगवान जो मोक्ष (उद्धार) यहां तक ​​कि सर्वश्रेष्ठता के लिए उनका दूसरा नाम पुरूसोत्तम है, वे पूर्णतः सर्वश्रेष्ठ है ।

उनके पवित्र निवास को पुरूषोत्तम पुरी के नाम से भी जाना जाता है जो भ्रम के बंधन से सर्व प्राणीओं को मुक्त करने का शक्ति रखता है.....

प्रभु जिसकी सब कुछ महान है उनके पवित्र निवास को श्रीक्षेत्र (गौरवशाली निवास) के रूप में जाना जाता है,
उनका मंदिर श्री-मंदिर (गौरवशाली मंदिर) है, उनकी सड़क को बडदांड (भव्य रोड) कहा जाता है,
उनका ध्वज "पतित-पावन" बाना (झंडा है उनकी रसोई को "आनंद बाज़ार" के रूप में जाना जाता है, उनके समुद्र को "महोदधी" (महासागर) आदि के रूप में जाना जाता है ...
भगवान जगन्नाथ जो मन में सभी अंतराल को पूरा कर सकते हैं और आंतरिक खुशी देता है इसलिए वह सत्_चिद-आनंद है...

"रत्त्तु बानम
दत्ताव पावर जनमा न विद्या "

 जन्म से मृत्यु तक एक आत्मा (जीवा) की निरंतर यात्रा में, उनका शरीर एक रथ जैसा है..

उस रथ पर सर्वोच्च देवता परम-आत्मा (सर्वोच्च आत्मा) के रूप में विराजमान है ।
भगवान जीवित चरम के लिए सवार है और आत्मा उस शारीरिक रथ की यात्रा की तरह है
इसलिए सवार की आज्ञा का पालन करना (स्वामी) यदि यात्रा (स्वयं जीवित प्राणी) जीवन के रास्ते पर चलता है, तो जीवन सार्थक होगा ।
यह राठयत्रा का सार है
इस रथयात्रा में  सर्वोच्च भगवान हमें जीवन भर में केवल उसके जीवन में आगे बढ़ने के लिए आशीष देते है....
लक्ष्य हासिल करना चाहें वो आध्यात्मिक हो अथवा सांसारिक कितना महत्वपूर्ण है यह हम रथयात्रा से सिखते है ।

हम सभी इन दिव्य अनुभवों से अपने जीवन को पवित्र कर सकते है 
मैं मेरे आराध्य प्रभु  के चरणकमलों में प्रणिपात पूर्वक सभी विश्ववासीओं को रथयात्रा के शुभ अवसर पर शुभेच्छा शुभकामनाएं देता हुं .....

गुरुवार, 22 जून 2017

ओडिआभाषा में संयुक्ताक्षर

कल #मैथिली भाषा के बारे में एक किताब में पढरहा था ओर यहां काहागया है कि सिर्फ मैथिली में ही संयुक्ताक्षर होते है अन्य भाषाओं में नहीं तो मैं कहता हुं यह मात्र भ्रम है ऐसी गलतफैमी में ना रहें....

जहां तक ओडिआभाषा कि बात है यहां बहुतसे ऐसे युक्ताक्षर/संयुक्ताक्षर है जिससे किसी अन्य भाषाभाषी व्यक्ति को यह भाषा सिखने में मुस्किलें होती है....
पैस है ऐसे ही कुछ ओडिआ संयुक्ताक्षर....

କ୍ଷ,କ୍ତ,କ୍ର,କ୍ସ,ଖ୍ୟ,ଚ୍ଛ,ଙ୍କ,ଙ୍ଗ,ତ୍ସ,ଦ୍ଦ,ନ୍ତ,ତ୍କ,ତ୍ତ,ଦ୍ଵ,ନ୍ଦ,ନ୍ମ,ବ୍ଲ,ନ୍ନ,ଦ୍ଧ,ତ୍ବ,ଞ୍ଜ,ଞ୍ଚ,ଜ୍ଞ,ବ୍ର,ନ୍ଧ,ତ୍ମ,ଣ୍ଟ,ଣ୍ଡ,ଟ୍ର,ଟ୍ଟ,ନ୍ତ୍ର,ର୍ଣ୍ଣ,ସ୍କ,ୱ,ସ୍ପ,ସ୍ଵ,ମ୍ପ,ମ୍ଭ,ମ୍ମ,ମ୍ଲ,ଶ୍ଚ,ଶ୍ଵ,ସ୍ଥ,ଷ୍ଣ,ଷ୍ଟ୍ର,ଷ୍ଠ,ଷ୍ଟ,ର୍ଦ୍ଧ,ଳ୍ପ,ର୍ଯ୍ୟ आदि आदि....
इसके अलावा कुछ अतिप्राचीन संयुक्ताक्षर भी हुआ करता था जैसे ऐकंत्र ଙ୍କ୍ତ,ଙ୍କ୍ଏ आदि
वैदिक भाषामें चुहों के एक प्रजाति को
'ପାଙ୍କ୍ତ୍ର' (पाङ्क्त) कहाजाता था जो प्राचीन ओडिआ ग्रंथों मे मिलजाता है ।
हालांकि ऐङ्कत्र शब्द संस्कृत में भी बिरल ही मिलता है......
(कुछ तथ्य odia classical languagge group से लियागया है)

शुक्रवार, 9 जून 2017

भूमिपुत्र बिजयानन्द पट्टनायक

लोग कहते है मोदीजी जैसा कोई नेता नहीं हुआ था....
मैं कहता हुं
हाँ हुआ था.....
नाम है
कलिंगवीर आधुनिक खारवेल भूमिपुत्र
विजयानन्द पट्टनायक(बिजुबाबु)....

लोग आज मोदीजीको लोगों के बीच निर्भय जाते देखते है तो हैरान हो जाते हे....
ओर ये उन्होंने बिजु जैसे राष्ट्रीय नेताओं से सिखा....

लोग मोदीजी के वोर्डर पर जाने ओर वहां सैनिकों का हौसला बढाते देख चकित हो जाते
भला ऐसा कोई नेता हुआ है.......

हुआ है नाम है बिजु.....
वह सिर्फ बोर्डर पर जाकै फोटो नहीं खिंचवाते थे
युद्ध भी लडते थे
१९४८ के भारत पाक युद्ध में उन्होंने युद्धभूमि में पाकिस्तानी​ सैनिकों पर हवाई बमबारी कि थी....
१९६२ भारत चीन युद्ध में बिजु ने अपनी नीजी बिमानसेवा कलिंग  एयारलाइनको सैनिकों तक
खाद्यपेय पहुंचाने मे लगा दिया था ओर
वे लगातार सीमा में ही बने रहे जबतक युद्ध अनिर्णायक खत्म नहीं हो गया तब तक....

१९६५ के भारत पाकिस्तान युद्ध में बिजु
श्री लालबहादुर शास्त्री जी के सलाहकार थे साथ में वे
पाकिस्तान भारत बोर्डर पर भी जाकर सैनिकों का मनोवल बढारहे थे....
उनदिनों इंडोनेशिया ने भारत के खिलाफ पाकिस्तान को सहायता पहुंचाने के मकसद से एक युद्धक जलपोत भेजा था जिसे बिजुबाबुने
इंडोनेशिया नेता सुकोर्णो से बात करवाके रुकवा दिया था.....
सूकर्णो को १९४८में बिजु ने ही एक हैरतअंगेज तरिके से बचाया था
जब उन्हें इंडोनेशिया सरकार ने ५००० करोड धनराशि के साथ अपने देशका नागरिकता देना चाहा बिजुबाबु ने सस्मान ठुकरा दिया.....
उन्होंने कहा था.....
यह सम्मान भूमिपुत्र रखलेता हुं परंतु भारतीयता छोड नहीं सकता.....

आज मोदी मेक इन इंडिया मेड इन इंडिया कि बात करते है....
बिजुबाबु ने वो काम १९४८से ही शुरू करदिया था....
कलिंग टेक्सटाइल बनवाकर.....
नव्वे के दशक में तो ओडिशा के घर घर मे स्वदेशी सामान हुआ करते थे
कलिंग टिवी,कलिंग रेफरेजीरेटर आदि आदि.....

बिजु अंग्रेजीराज में भारतीय सेना में सामिल हुए थे
वाबजूद इसके वे गुप्तरुप से स्वतंत्रता सेनानियों को मदद मुहैया करते थे.....
जब अंग्रेजों को पताचला उन्हें कई वर्षों तक जेलवास भोगने पडे थे.....

ओडिशा में आज जो भी विकास देख रहे हो वे सब बिजु कि काहानी कहती है
ये जीवनी इतनी भी छोटी नहीं है
बहुत सी बातें ऐसी है जो फिर कभी सेयर करुंगा....

गुरुवार, 8 जून 2017

श्री जगन्नाथपुरी कि विशेषता क्या है

8 साल पहले 10 नवेम्बर 2007 को
Puri Ahamadabad express मैँ भाई
#राजेश_पण्डा जी के साथ
#सुरत आ रहा था !

उसी ट्रेन मे हमारे सामनेवाले सीट पर एक #प्रौढ़ #गुजराती #युगल भी था !

ये लोग #श्रीजगन्नाथधाम दर्शन
पश्चात घर लौट रहे थे

एक #ओड़िआ लौँडा जो कि #गुजरात एक दो बार हो आया था
उनके साथ बातेँ करने मे 
मशगुल था

तभी वहाँ बैठी
गुजराती #महिला ने एक दमदार प्रश्न पुछलिया

जिसका उत्तर किसी साधारण व्यक्ति के लिए आसान न हो

प्रश्न था

#श्री #जगन्नाथपुरी #कि #विशेषता
#क्या #है ?

अब वो लौँडा
शायद #खाद्यप्रिय घराने से होगा

उसने #पुरुषोत्तमपुरी कि रसोईघर
से लैके गुप्त खजानोँ तक के कथाओँ का वर्णन कर दिया !

उसका उत्तर सुनके गुजराती महिला
#स्मितहास्य करने लगी ....

अब वही प्रश्न जब #बाउन्सर बनके
भाई #राजेश_पाण्डा जी कि ओर
उछला

उन्होने उस प्रश्न को सुलझाने के लिए एक #तात्विक उत्तर दिया
जिसे सुनने के बाद गुजराती महिला
#संतुष्ट दिखी

उत्तर था --

"कहीँ #नारी कि पूजा हुई
कहीँ #पुरुष पूजे गए
यह भारत का एक अकेला
ऐसा क्षेत्र है
जहाँ #भाई #बहन ओर उनके
#पवित्र #रिस्ते को #एहमियत मिले !"

"विश्व भर मे श्रीजगन्नाथ"

* ओड़िशा मे पुरी जगन्नाथ धाम सहित कुल 3141 श्रीजगन्नाथ मंदिर है !

अन्य भारतीय राज्योँ मे 244
तथा विदेशोँ मे 154 मंदिर पाया गया है ।

विदेशोँ मे स्थित 154 श्रीजगन्नाथ मंदिरोँ मे से 54 मंदिर केवल
अमरिका मे है !

...2...

सर्वप्रथम
अमरिका मे 1968 ,
कानाड़ा मे 1972 तथा
फ्राँस मे 1991 मे रथयात्रा का आयोजन किया गया था..,

विश्वभरमे अपने मंदिरोँ मे प्रभु 24 नामोँ से पूजे जाते है ।

अबतक 102 राजा विदेशोँ मे करचुके है श्रीजगन्नाथ जी कि सेवा !

....(3)....

आलवामा मे रहनेवाले एक वैज्ञानिक माईकेल ने आठ साल पहले श्रीजगन्नाथजी कि मूर्त्ति को चाँद पर ले जा चुका है ।