यह मेरी पवित्र भूमि ओडिशा है जिसका धूल "जगन्नाथ" कहते हैं, हवा भी "जगन्नाथ", महासागर, नदी, धारा आदि हरकोई "जगन्नाथ" कहते हैं.....
ओडिशन संस्कृति का केंद्र भगवान जगन्नाथ है ओडिशन दर्शन का प्रतीक श्री जगन्नाथ है.....
ओडिशा का साहित्य जगन्नाथ से शुरू होता है श्री जगन्नाथ महाप्रभु ओडिश के भक्ति गीत, संगीत, कला, सोच और ओडिडिया के दिन-प्रतिदिन जीवन में हैं.....
संभवत: पूरे विश्व में ओडिशा एकमात्र भौगोलिक क्षेत्र है जहां भूपति यानी राजाएं भी भगवान जगन्नाथ की सेवा पर सफाईदार हो जाते हैं.....
वह क्यों नहीं होगा, क्योंकि ओडिशा का वास्तविक राजा (उत्कल / कलिंग) भगवान जगन्नाथ है....
शायद जगन्नाथ पूरे विश्व में एकमात्र देवता है जो अपनी दिव्य भक्तों को पवित्र दर्शन (झलक) देने के लिए अपनी मूल मूर्ति (मुगल विग्रा) के रूप में आते है.....
वह पतित-पवन, भगवान जो मोक्ष (उद्धार) यहां तक कि सर्वश्रेष्ठता के लिए उनका दूसरा नाम पुरूसोत्तम है, वे पूर्णतः सर्वश्रेष्ठ है ।
उनके पवित्र निवास को पुरूषोत्तम पुरी के नाम से भी जाना जाता है जो भ्रम के बंधन से सर्व प्राणीओं को मुक्त करने का शक्ति रखता है.....
प्रभु जिसकी सब कुछ महान है उनके पवित्र निवास को श्रीक्षेत्र (गौरवशाली निवास) के रूप में जाना जाता है,
उनका मंदिर श्री-मंदिर (गौरवशाली मंदिर) है, उनकी सड़क को बडदांड (भव्य रोड) कहा जाता है,
उनका ध्वज "पतित-पावन" बाना (झंडा है उनकी रसोई को "आनंद बाज़ार" के रूप में जाना जाता है, उनके समुद्र को "महोदधी" (महासागर) आदि के रूप में जाना जाता है ...
भगवान जगन्नाथ जो मन में सभी अंतराल को पूरा कर सकते हैं और आंतरिक खुशी देता है इसलिए वह सत्_चिद-आनंद है...
"रत्त्तु बानम
दत्ताव पावर जनमा न विद्या "
जन्म से मृत्यु तक एक आत्मा (जीवा) की निरंतर यात्रा में, उनका शरीर एक रथ जैसा है..
उस रथ पर सर्वोच्च देवता परम-आत्मा (सर्वोच्च आत्मा) के रूप में विराजमान है ।
भगवान जीवित चरम के लिए सवार है और आत्मा उस शारीरिक रथ की यात्रा की तरह है
इसलिए सवार की आज्ञा का पालन करना (स्वामी) यदि यात्रा (स्वयं जीवित प्राणी) जीवन के रास्ते पर चलता है, तो जीवन सार्थक होगा ।
यह राठयत्रा का सार है
इस रथयात्रा में सर्वोच्च भगवान हमें जीवन भर में केवल उसके जीवन में आगे बढ़ने के लिए आशीष देते है....
लक्ष्य हासिल करना चाहें वो आध्यात्मिक हो अथवा सांसारिक कितना महत्वपूर्ण है यह हम रथयात्रा से सिखते है ।
हम सभी इन दिव्य अनुभवों से अपने जीवन को पवित्र कर सकते है
मैं मेरे आराध्य प्रभु के चरणकमलों में प्रणिपात पूर्वक सभी विश्ववासीओं को रथयात्रा के शुभ अवसर पर शुभेच्छा शुभकामनाएं देता हुं .....