भारत मे मूल बाल्मिकी रामायण से प्रेरित
तिन प्रकार के
रामायण ग्रंथ पाएजाते है
I-औदीच्य
II-दाक्षिणात्य
III-गौडीय
तिनोँ मे सर्ग संख्या तथा पाठ मे भिन्नताएँ देखा जा सकता है ।
उत्कलीय कविओँ ने भी रामायण को अपने मातृभाषा मेँ
भावानुवाद करने कि कोशिश कि है ।
1.
उत्कलीय कवि विश्वनाथ खुंटिया
ने
बाल्मिकी रामायणको Odia मे लिखा
लोगोँ ने उनके द्वारा लिखेगये
रमायण को विचित्र रामायण
या विशिरामायण नाम दिया ।
Archive . com मेँ आपको विचित्ररामायण का हिँदी लिपान्तरण पुस्तक प्राप्त होगेँ ।
2.
ओड़िआ कवि हरिहर ने पद्याकार # सुचित्र_रामायणलिखा था !
3. जगन्नाथ दास के शिष्य पुरीनिवासी बलराम दास ने 16वीँ सदी मे जगमोहन रामायण लिखा ।
4.19वीँ सदीके प्रारम्भिक काल मे गंजाम जिले के कवि कृष्ण चरण पट्टनायक ने मूल रामायण का पद्यनुवाद किया था
यह रामायण कृष्ढ रामायण कहलाया ।
5.केशव पट्टनायक नामक अन्य एक कवि ने भी बाल्मिकी
रामायण का भावानुवाद किया
यह ग्रंथ को लोग केशव रामायण कहने लगे ।
आधुनिक काल मे स्वर्गीय पण्डित कपिलेश्वर विद्याभूषण तथा फकीरमोहन सेनापति
तथा भागवत प्रसाद दान
आदि कवि लेखकोँ ने पुनः पुनः मूल
रामायण का ओड़िआ पद्य भावाअनुवाद
किया था ।
इसके अलवा प्राचीन व नवीन युग के कविओँ ने रामायण से सार संग्रह पूर्वक कई काव्य ग्रंथ लिखे है ।
जैसे
प्राचीन कवि चिन्तामणि व मागुणि पट्टनायक का
दो अलग अलग रामचंद्र विहार ,
धनंजय भंज का रघुनाथ विलास,
कविसम्राट उपेन्द्रं भंज
का "ब" आद्य पद ममन्वित
"वैदहीशविलास"
इसमे हर पद ब से प्रारम्भ होता है ।
पीताम्बर दास ने अपने नृसिँह पुराण मे रामायण का संक्षिप्त वर्णन किया ।
गंजाम के कवि कान्हु दाश कृत रामरसामृत ,
चिकिटि के स्वर्गीय पीताम्बर राजेन्द्र के द्वारा लिखेगये रामलीला आदि प्रसिद्ध है ।
वहीँ
आधुनिक काल के कवि मधुसुदन राव ने वालरामायण लिखा
था ।
रत्नाकर गर्गवटु ने रामायण का सार संग्रह पूर्वक संक्षिप्त रामायण लिखा ।
अरुणोदय प्रेस तथा सारस्वत प्रेस ने भी 2 अलग अलग रामायण ग्रंथ छपवाया
था ।
वलराम दास ने 16वीँ सदी मे बालरामायण लिखा,चंद्रशेखर नंद ने रामायणकथा ,नीलकंठ दाश ने भी बालकोँ के लिए
पिलाकं रामायण रचना किया ।
उत्कलीय नाट्यशास्त्रोँ मे रामकथा तथा रामायण पर आधारित कई नाटक लिखे गये है
कुछ प्रसिद्ध नाटकोँ के नाम इसप्रकार है !
1.लंकादहन-भिकारी पट्टनायक
2.राम बनवास-रामशंकर राय
3.अहल्याशापमोचन-पद्मनाभ नारायण देव
4.सीता बिबाह-कामपाळ मिश्र
5.रावण वध -हरिहर रथ
6.रामाभिषेक -हरिहर रथ
7.रामजन्म ,रामनिर्वासन-हरिहर रथ
8.सीतावनवास गीतिनाट्य-
नन्दकिशोर वल !
संस्कृत के
आध्यात्म रामायण का भी ओड़िआ अनुवाद
हुआ है ।
हलधर दास ,तेलुगुभाषी गोपाल कवि ,गंजाम के सूर्यमणी पट्टनायक आदि कविओँ ने इस ग्रंथ का ओड़िआ अनुवाद किया था ।
इनके अलावा
आदि कवि सारला दास ने
विलंका रामायण नामसे एक पद्यग्रंथ लिखा था
इसके कथानक रामायण से पूर्णतः भिन्र है ।
अतः कुछ लोग इसे निजस्व ,लिँक से हटाहुआ तथा काळ्पनिक कृति मानते है ।
यहाँ रामायण के बाद
कि कहानी बर्णना किए गये है ।
पातालस्थ विलंका
नगरी राजा सहस्रमुख रावण को
राम आक्रमण कर सीता के शक्ति से विलंकासुर को कैसे मारते है
यही इसमे बताया गया है ।
कम शब्दोँ कहे तो ये भारत का एक अकेला इकलौता नारिवादी रामायण है ।