Mr. reveshaw
एक अंग्रेज कर्मचारी थे
व्रिटिशराज के समय !
जब ओड़िशा उनका कर्मस्थली बना
उन्होने Odia भाषा सिखना शुरुकिया !
वे सिख भी गये
19वीँ सदी कि मध्यभागमे ODISHA मे एक भी सरकारी स्कुल न था
रेभेन्सा ने सोचा चलो एक स्कुल खोला जाय
उन्होने रेभेन्सा कलेजिएट स्कुल कि स्थापना कि
यहाँ सुभाष वोष भी पढ़चुके है ।
अच्छा रेभेन्सा ने श्रीगणेश करदिया
व
कुछ वर्षोँ बाद
इंलण्ड चले गये
कुछ वर्षोँ बाद
कोलकता विश्वविद्यालय के अध्यापक
आष्टन
तथा उत्कल गौरव मधुसुदन दास
इंलण्ड संस्कृति मेले मे गये हुए थे
आष्टन को पता न था
रेवेन्सा मधुबाबु को जानते है
वे उनका परिचय रेवेन्सा से कराने लगे
रेवेन्सा को आष्टन ने कहा
लिजिये मिलिए
अपने पुराने बंगाली छात्र
मि. दास से ।
ये सुनकर
मधु बाबु मुस्काए
फिर
रेवेन्सा व मधुसुदन ODIA मेँ बात करने लगे
ये दैखके आष्टन भौँचके रहगये
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