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सोमवार, 14 अगस्त 2017

स्वराज भाया अलवत् होगा

पंडित निलकंठ दास जब उत्कलमणि गोपबंधु दास तथा भागिरथी मिश्र के साथ संबलपुर में थे
उन्होंने वहां असहयोग आंदोलन में प्रमुख भूमिका अदा किया था ।
संबलपुर में सभी ने मिलकर जातीय विद्यालय कि स्थापना किया था जिसमें पंडित नीलकंठ
प्रधान शिक्षक बनाए गये थे ।
वहां क्रान्तिकारीओं ने मिलकर "सेवा" नामसे एक पत्रिका प्रकाशित किया जाता था....
इस पत्रिका का ओडिशा के असहयोग आंदोलन में अहम योगदान रहा है ।
उन दिनों वहां के राष्ट्रीय सभा समितिओं
पंडित निलकंठ का एक उदवोधनी कविता काफी लोकप्रिय हुआ था
"स्वराज भाया अलवत्" होगा नाम से
यह हिंदी के साथ ओडिआ शब्दों को मिला कर लिखागया एक देशात्मवोधक गीत था.....
पैश है उस कविता के चंद लाइनें.....

स्वराज भाया अलवत्  होगा
छोडके आओ गुलामी
भारत लडका गोलाम  होके
काहे करो बदनामी ।।
गुलामहोंने मालुम नहीं कि
कैसे हें राज वेगारी
सबकुछ जाए दरियापारी
घर में हमलोग भिखारी ।।
स्कूल कचेरी काउन्सिल को
इयाद रखो बाबुजी
माया ये सब गोलामी का
इसमें नाइं भूलोजी.....!!
दिल में स्वाधीन दिल में गोलाम
दिल का बंधन नौकरी
दिल का मजा रखो भेइया
छोड दो सब सरकारी   !!

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