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सोमवार, 7 अगस्त 2017

ओडिआ ओर लिथुआनिया है संस्कृत से सबसे नजदीकी भाषा

भारोपिय भाषाओं में सबसे शुद्ध भाषा है वेदभाषा । ओर वेदभाषा के नजदिकी भाषाओं में क्लासिक संस्कृत,पाली,आवेष्टान्,ग्रीक्,,लाटिन हि माने जाते है । अब इन भाषाओं में ज्यादातर विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं ।
लेकिन भारोपिय भाषा परिवार से फिलहाल दो भाषाएं ऐसे हे जो कि आर्यभाषा से काफी हद तक नजदीक बताये जाते है ।
एक है लिथुआनी या
लिथुआनियाई (लिटूवीओ कलाबा)
यह लिथुआनिया की आधिकारिक राज्य भाषा है और इसे यूरोपीय संघ की एक अधिकृत भाषा के रूप में मान्यता दी गई है। लिथुआनिया में लगभग 2.9 मिलियन मूल लिथुआनियाई बोलने वाले हे और लगभग 200,000 विदेश में हैं। लिथुआनियाई एक बाल्टिक भाषा है, लातविया से संबंधित है। यह भाषा लैटिन वर्णमाला में लिखा है। लिथुआनियाई को अक्सर सबसे रूढ़िवादी जीवित भारत-यूरोपीय भाषा कहा जाता है, प्रोटो-इंडो-यूरोपीय के कई सुविधाओं को बनाए रखने में अब अन्य अन्य यूरोपीय-यूरोपीय भाषाओं में खो गया है।
इंडो-यूरोपियन भाषाओं में, लिथुआनियाई असाधारण रूप से रूढ़िवादी है, कई पुरातन सुविधाओं को बनाए रखना अन्यथा केवल प्राचीन भाषाओं में पाया जाता है जैसे संस्कृत या प्राचीन यूनानी.....

प्राचीन आर्यभाषा से सर्वाधिक नजदीक
दुसरी भाषा #odia है ।
ष्टिसार्ड ओ माली  जैसे भाषाविज्ञानीओं ने इसे प्राचीन आर्यभाषा का सबसे नजदीकी भाषा प्रमाणित किया है । हजारों मूल संस्कृत शब्द आज भी ओडिआ में उसके उसी प्राचीन स्वरूप के साथ प्रचलन में हें । वहीं हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं ने अरवी फार्सी से शब्द आहरण कर अपने भाषाओं से संस्कृत शब्द व्यवहार कम करदिया ।
ओडिआ को शास्त्रीय मान्यता मिलने के बाद यह बात ओर भी स्पष्ट हो चुका है कि हिंदी तथा बंगाली जैसे भाषाओं से भी कहीं अधिक समृद्ध व प्राचीन ओडिआभाषा ही है ।

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