1899 मे सम्बलपुर क्षेत्र मे भयानक अकाल पड़ा था !
1866 के तरह ये भी मनुष्यकृत अकाल था ।
1890 मे झारसुगुडा होते हुए
बम्बे कलकत्ता रेलवे ट्रेक निर्माण होने के बाद 1894 मे झारसुगुड़ा से सम्बलपुर तक रेल्वे ट्रेक बिछाया गये ।
जिससे यहाँ उत्पादित खाद्य शस्य लोगोँ से जोरजबरदस्त रेल से दुसरे जगहोँ मे भेजदिया ।
इससे किशानोँ के पास उगाने को न बीज मिला न सरकार ने बीज अमदानी कि ।
खाद्य रप्तानी इतने मात्रा मे बृद्धि हुए कि 3/4 साल मे
यहाँ भयंकर अकाल पड़ा जिससे
सम्बलपुर जिला के 8 लाख मे से एक अक्टोवर 1899 से 30 सेप्टेम्बर 1900 तक
62 हजार 924 लोगोँ का प्राणहानी हुए वहीँ इसके 5गुना लोग
सबकुछ खोओकर निःस्व हो गये ।
संबलपुर के स्वाभिमानी ओड़िआ
अपने मातृभाषा मे चिट्ठी लिखके
सरकार को अपना दुःख दर्द सुनाने को दफ्तरोँ मे भेजने लगे !
लेकिन हिन्दी बंगाली सरकारी कर्मचारी
या तो उन चिट्ठीओँ को फाड़देते थे
या कहीँ फैँक देते थे ।
उस समय के
जिल्ला मुख्यप्रशासन कार्यालय के क्लॉर्क श्री दाशरथी मिश्र को जब इसबारे मे पताचला
उन्होने अपने भाई श्री श्रीपति मिश्र जी के जरिये
दुसरे लोगोँ को हिन्दी बंगाली लोगोँ कि षडयन्त्र का पर्दाफास करवाया ।
एक ओर ओड़िआ सरकारी कर्मचारी
वैकुण्ठनाथ पूजारी ने 1901 मे जनगणना के वाहाने संबलपुर मे गाँव गाँव घुम कर लोगोँ को जनगणनाकरनेवाले लोगोँ को अपना भाषा ओड़िआ बताना ऐसा प्रचार किया ।
जब जिल्लापाल को यह ज्ञात हुआ उन्होने श्री पूजारी जी को जबलपुर ट्राँसफर अर्डर भेजदिया था ।
1901 मे संबलपुर के ही एक युवा वकील श्री चंद्रशेखर वेहेरा ने हिन्दीबांग्ला भाषी कर्मचारीओँ के खिलाफ मोर्चा खोलदिया ।
अब तो सम्बलपुर का बच्चा बच्चा तक
भूबनेश्वरजी के साथ आ खड़े हुए ।
उसी साल May माह मेँ श्रीमदनमोहन मिश्र जी के नेतृत्व मे
जनसैलाव ने जिल्लापाल के कार्यालय का घेराव किया
!
29 जुलाइ 1901 मे श्री व्रजमोहन पट्टनायक जी के नेतृत्व मे एक प्रतिनिधि दल
नागपुर चिफ कमिशनर
फ्रेजर साहब से मिला तथा उन्हे सम्बलपुरमे पुनः ओड़िआ भाषा प्रचलन हेतु दाविपत्र सौँपे गए ।
स्वाभिमान के लिए लढ़ाई लढ़रहे ये पाँच ओड़िआ अब
बड़लाट लर्ड कर्जन तथा मध्यप्रदेश गभर्नर Andrew frezer से मिलने 16 सेप्टेम्बर 1901 मे सिमला पहँचे ।
लेकिन वहाँ उनकी बात सुनने को कोई उच्च अधिकारी न था ।
लेकिन गवर्नर के घरोइ सचिव तथा पूर्वतन सम्बलपुर कलेक्टर
क्रम्पट साब उन्हे मिलगये
उन पाँचो ने उन्हे दाविपत्र थमाया
और सम्बलपुर लौट आए ।
सिमला मे सर्वभारतीय शिक्षानीति सेमिनार मे
बड़लाट कर्जन ने Andrew frezer से पुछा
यदि नागपुर मे मराठी भाषा को सरकारी भाषा बनाया
गया वहीँ सिर मे तेलुगु भाषा
प्रचलन मे है
तो सम्बलपुर मे ओड़िआ सरकारीभाषा क्युँ न हो ?
ओड़िआभाषा प्रति द्वेषपूर्ण मानसिकता रखनेवाले
बड़लाट के प्रश्न पर चुप रहे ।
अब तो लर्ड कर्जनने तय कर लिया कि
वे इस विषय मे निष्पक्ष छानवीन के लिए खुद सम्बलपुर जाएगेँ ।
26 तारिख को
सम्बलपुरवासीओँ ने लर्ड कर्जन का भव्य स्वागत किया था ।
इसबारे मे सम्बलपुर हितैषिणी संवादपत्र ने पुरा पन्ना भरकै लेख छपा था
[हितैषिणी 16 अक्टोवर 1901 पृ.90 देखो]
बड़लाट के डर से हो या सम्बलपुर मे लोगोँ से खुस हो
फ्रेजर ने
घोषणा करदिया कि जल्द संबलपुर मे ओड़िआ भाषा पुनः प्रचलन होगा !
दिर्घ 6 साल बाद संबलपुर मे ओड़िआ पुनः प्रचलन मे आया ।
1 जनवरी 1903 मे ओड़िआ भाषा संबलपुर का सरकारी भाषा बना
50 प्राथमिक स्कुलोँ मे ओड़िआ भाषामे पढ़ाया जाने लगा !
भाषा आंदोलन मे जीतने के बाद अब संबलपुर को
ओड़िशा(कटक ,बालेश्वर,पुरी)
मिला देने को कवायत तेज हो गए ।
http://www.bhubaneswarbuzz.com/updates/odia-articles/odiapost-1901-sambalpur-chandrasekhar-behera-odia-bhasha-andolan
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