ओड़िशा मे कोहिनूर प्रेस उतना हि फैमस है जितना कोहिनूर हीरा दुनियामे !
ओड़िशा मे ज्यादातर पुराण शास्त्र ज्यौतिष पंजिका कोहिनूर प्रेस मे Odia भाषामे छपते है ।
कोहिनूर प्रेस के संस्थापक
अमिनूल ईसलाम् ने
आजसे आठदशकोँ पहले इस प्रेस कि निँव रखी थी !
कोहिनूर प्रेस कि राशिफल व पंजिका को जगन्नाथ मंदिर मुक्तिमंडप द्वारा स्विकृति प्रदान कि गई है ।
अमिनूलजी ने मुसलमान हो कै भी ना सिर्फ अपने प्रेस के जरीये हिन्दु पोथी पुराण तथा ग्रंथ प्रकाशन किया आप कई संस्कृत काव्य ग्रंथोँ को ओड़िआभाषा मे भावानुवादक व नवग्रंथ रचयिता भि रहे !
1928 सालमे, अमिनूल कटक आए और अपनी जीजाजी के संग मिलकर
मूद्रण व्यवसाय सिखे और फिर कटक मे ही कोहिनूर प्रेस व कोहिनूर प्रेस पुस्तक भंडार कि स्थापना किए थे ।
व्रिटिश शासन काल मे
प्राँत के स्वतंत्रता सेनानी यहीँ पोस्टर होर्डिगं छपवाते थे
देशात्मवोधक किताबेँ छाँपने के कारण
कईबार कोहिनूर प्रेस मे छापे ड़ाले तलाशी लि गई
और एक आद बार पकड़े भी गये ।
अमिनूल साहब को हिन्दु पोथी पुराण प्रति जितना प्रगाढ़ श्रद्धा व आदरभाव था
उतना ही ज्योतिष शास्त्रोँ पर यकिन !
उन्होने तय किया कि
वो एक ऐसे पंजिका प्रकाशित करवाएगेँ
जो हर तरह से निर्भुल ,सटिक गणना करता हो ।
इससे पहले Odisha मे अरुणोदय प्रेस पंजिका नामसे एक ही फलित ज्योतिष पोथि प्रकाशित होता था !
अमिनूल जी ने प्रख्यात विद्वान पठाणि सामन्त के वंशज...श्री गदाधर सिँह सामन्त ,
लिँगराज खड़िरत्न परिवार वंशज...पंडित श्री हरिहर खडिरत्न जी के सामुहिक सहायता से
एक पंजिका का पांडुलिपि प्रस्तुत किए थे । सामान्य संशोधन पश्चात
पुरी मुक्ति मंडप सभा से इस नूतन पंजिका को स्विकृति मिल गया था
और इस प्रकार 1935 मे कोहिनूर पंजिका का जन्म हुआ ।
अमिनूल जी ने अपने जीवनकाल मे अनेकोँ ग्रथं लिखे
उनके द्वारा कई हिन्दु ग्रंथोँ का पुनः मुद्रण किया गया !
अमिनूल इस्लाम एक सच्चे देशभक्त स्वतंत्रता सेनानी थे ।
उन्होने गोपबंधु दास हरेकृष्ण महताव नवकृष्ण चौधुरी भागिरथी महापात्र आदि दिग्गज
उत्कलीय मनीषिओँ के साथ मिल कर देश मातृका के लिए काम किया था ।
~पुरस्कार तथा सम्मान~
अमिनूल इस्लाम जी को बिजु पट्टनायक जी के शासनकाल मे पद्मकेशरी उपाधी मिला था
वहीँ जानकी वल्लभपट्टनायाक द्वारा चंद्रशेखर उपाधी प्राप्त हुए ।
1985 साल मे श्रीपुरुषोत्तम पुरी जगन्नाथ धाम श्रीमंदिर मे उनका श्राद्ध आयोजन हुआ था ।
किसी इस्लामीक व्यक्ति का श्री मंदिर मे श्राद्ध होना विरल घटना होने के साथ साथ सम्मानजनक भी है ही ।
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