कर्मवीर गौरीशंकर राय ....
हिन्दीभाषी भाईओँ को शायद यह नाम नया लगे....
1866- [नव अंक दूर्भिक्य ] भयंकर अकाल के समय अंग्रेजोँ कि पोल खोलने के लिये
कुछ जागरुक ओड़िआ नौजवानोँ ने प्रथम
Odia पत्रिका#UtkalDipika
कि निँव रखी थी
इस पत्रिका के आजीवन संपादकसंचालक रहेगौरीशंकर ....
गौरीशंकर के पूर्वज#बंगालसे ओड़िशा आये और यहीँ के हो कर रहगये ....
ओड़िआ भाषा आन्दोलनव स्वतन्त्र उत्कल प्रदेश गठनमे गौरीशंकर जी का बहुत बड़ा हात है .....
वे अपने स्वतंत्रता व स्वाधीन मत को अक्षुर्ण रखते हुएपत्रिका संपादन के साथ साथसरकारी नौकरी भी किया करते थे....
एक दिन Utkaldipika मे तत्कालीन कलेक्टर द्वारा किएगये अनीति पर एक लेख छपा .....
कलेक्टर ने कार्यालय मे ही गौरीशंकर से जवाबतलब किया.....
कि आखिरकार एक सरकारी नौकर होते हुए भी तुमकैसे सरकार के खिलाफ लिखसकते हो .... ?!!
इसके उत्तर मे कर्मवीर गौरीशंकर ने कलेक्टर साहब को साफ शब्दोँ मे जवाब दिया.....
गौरीशंकर राय... वो उत्कलदिपिका के संपादक ने वह लेख लिखा था वो भी कार्यालय से छुट्टी के बाद अवसर समय मे...
..ये गौरीशंकर राय कलेक्टर केदफ्तर मेँ सरकारी कर्मचारी है Utkal dipika के संपादक नहीँ....
ये जवाब सुनकर वेचारा कलेक्टर निरुत्तर रहगया....
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