ओड़िशा मेँ रज पर्व का खास महत्व होता हे ,यह पर्व चार दिन के लिये मनाया जाता हे
[[पहिलि रज
रजसक्रान्ति/मिथुन सक्रान्ति
शेष रज
वसुमति स्नान]]
चार दिन तक चलने वाली इस पर्व के प्रथम दिन को पहिलि रज
द्वितीय दिन को रज संक्रान्ति
तथा अंतिम दिन को भूमिदाह ,भूमि दहन व शेष रज भी कहाजाता है ।
पर्व के अंतिम व चौथे दिन को वसुमती स्नान दिवस कहाजाता है । इस पर्व का आरम्भ होना खेती कि शुरवाद करने हेतु सुचित करता है । प्रायः इस पर्व के दौरान मॉनसुन कि बरसात हो जाता है और कृषक लोग खेतोँ मेँ धान कि बीज वपन करते है ।
। प्राचिनकाल मेँ रज पर्व कब कैसे प्रारंभ हुआ इसका सटिक विवरण उपलब्ध नही , परंतु इसे सम्भवतः स्थानीय लोगोँ ने पृथ्वी माता तथा नारीऔँ की गौरव बढ़ाने हेतु मनाना शुरुकिया था । रज पर्व के इन चार दिनोँ मेँ ओड़िशा प्रान्त के लोग न तो धरती पर खुदाई करते न चपल पहन कर चला करते है । नारीआँ विभिन्न प्रकार की प्रादेशिक पकवान व मिठाई बनाकर घर परिवार को खिलाती पड़ोशीओँ मेँ बाँटती ।
तिन दिन तक इस क्षेत्र के नारीआँ न तो मसाला बाटती न सब्जी काटती है ये सब तीन दिन के लिये पुरुषोँ को करना होता हे ।
तिन दिन तक इस प्रान्त के नारीआँ वृक्ष शाखाओँ मेँ झुला बाँधकर झुला झुलती पायीजाती है इसे प्रान्तिय भाषा मेँ दोळी कहाजाता है ।
वसुमती स्नान रजपर्व का अंतिम दिन है ।
इस दिन धरतीमाता के साथ साथ महालक्ष्मी की भी पूजा कियाजाता है । रजस्वला नारी जैसे ऋतु स्नान पश्चात् पवित्र होति है ठिक उसी प्रकार वर्षाजल द्वारा पृथ्वी माता का ऋतुस्नान मनसुन के आने से संपन्न होता हे । पुरातन काल मेँ इस क्षेत्र के लोग मानते थे कि ऋतुस्नान बाद अब धरती माँ कृषि सृजन व वीज धारण हेतु उपयुक्त हो जाती हे ।
इस पर्व मेँ उत्कल भुखंड के नारीआँ झुला झुलते समय कई तरह कि गीत गाया करती है ।
ये गीत आज स्थानीय लोकगीतोँ मेँ काफी लोकप्रिय है ।
उत्कलीय नारी इन गीतोँ मेँ अपने दिलोँ मेँ दफ्न उन दुःख दर्द व आकांक्षाओँ को वयाँ करती हुई सामाजिक सुधार कि उम्मिद रखती है । कोई कोई गाने मजेदार भी होते है ये नंनन्द भैजाई व देवर भाबी आदि मधुर संपर्क रखनेवाले लोग आपस मेँ दोहराते हुए सामाजिक बंधनोँ को और सुदृढ़ बनाते ।
रज पर्व मेँ ज्यादातर पुरुष लोग क्रिकेट कबड्डी तास आदि खेलोँ मेँ छुट्टीओँ का आनंद लेते है । वहीँ पुरुषोँ को चुला चौका मेँ ये 4 दिन नारीओँ कि मदद करना होता हे । इसके पिछे उद्देश्य होता है पुरुषोँ को बताना कि नारीआँ घर चलाने के लिये कितना महनत करती हे नारी सम्मान बढ़ाने हेतु इसतरह की रीति रिवाज जोड़दिया गया हे ।
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