ओड़िशा राज्य स्थित सम्बलपुर जिल्ला मेँ प्रसिद्ध शीतलषष्ठी पर्व कबसे शुरु हुई इस सम्बंध मेँ सटिक तथ्य नहीँ है । अवश्य विषय मेँ एक जनसृति प्रचलन मेँ पायाजाता हे
वो इसप्रकार है ।
छत्रपति राजा बलियार सिँह/अजित सिँह जी कि राजत्वकाल मेँ संभवतः इस त्योहार को बड़े पैमाने पर मनाये जाने लगा था ।
छत्रपति बलियार सिँहजी को 18 गड़जात सम्मान देने हेतु जगन्नाथपुरी महाराज नेँ उन्हे जगन्नाथपुरी आमन्त्रण किया । पुरी राजा नेँ वलियार सिँह जी शक्ति परिचय हेतु 7 श्रेष्ठ मल्लयोद्धाओँ को नियोजित कर लिया । वीर बलीयार सिँह जी दरबार मेँ आ कर के पुरीराजा का अभिवादन कर रहे थे कि योद्धाओँ ने उनपर धाबा वोलदिया । इससे विचलित न हो बलियार सिँह जी ने युद्ध कि और सारे के सारे मल्लयोद्धाओँ को अपने वाहुबल से धरासायी करदिया ।
बलियार सिँह से पुरी महाराजा प्रभावित हो गये और सिँहासन से दौडकर उन्हे गले लगालिया व कुछ माँगने के लिये आग्रह करने लगे । उन दिनोँ सम्बलपुर क्षेत्र मेँ ब्राह्मण न थे अतः सम्बलपुर राजा ने उन्हे सम्बलपुर ब्राह्मण गाँव बसाने का अनुरोध किया । राज आदेश तथा आदिवासी क्षेत्रोँ मेँ वैष्णव धर्म कि प्रचार प्रसार हेतु कई ब्राह्मण परिवार सम्बलपुर गये और वहाँ के होकर रहगये । मानाजाता है कि ब्राह्मणोँ के सम्बलपुर आने के बाद से यहाँ शिव पार्वति विवाहोस्छब शुरु हुआ था । इस धार्मिक विवाह मेँ शिवजी का वारात काफी मनोहारी होता है ,ओड़िशा कि पारंपरिक करतब नृत्य परिवेषण करते हुए वरपक्ष पुरे सहर मेँ घुमते पायेजाते है ।
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